ग़ज़ल
दूसरों के वास्ते बेहद बड़ा हो जाऊं मैं
इसकी ख़ातिर अपनी नज़रों से भी क्या गिर जाऊं मैं
एक इकले आदमी की, कैसी है जद्दोजहद
कौन है सुनने के क़ाबिल, किसको ये दिखलाऊं मैं
जब नहीं हो कुछ भी तो मैं भी करुं तमग़े जमा
बस दिखूं मसरुफ़ चाहे यूंही आऊं जाऊं मैं
बहर-वहर, नुक्ते-वुक्ते, सब लगें इनको दुरुस्त
इनके खाने और कमाने को भी कुछ लिख जाऊं मैं
जीते-जी लफ़्ज़ों के जिसके लोग दें मानी बदल
क्या करुं त्वारीख़ में, ऊपर से मर भी जाऊं मैं
-संजय ग्रोवर
19-06-2018
तवारीख=इतिहास history, लफ़्ज़=शब्द word, मानी=अर्थ meaning, मसरुफ़=व्यस्त busy, जद्दोजहद=संघर्ष, अंर्तद्वंद conflict, struggle
दूसरों के वास्ते बेहद बड़ा हो जाऊं मैं
इसकी ख़ातिर अपनी नज़रों से भी क्या गिर जाऊं मैं
एक इकले आदमी की, कैसी है जद्दोजहद
कौन है सुनने के क़ाबिल, किसको ये दिखलाऊं मैं
जब नहीं हो कुछ भी तो मैं भी करुं तमग़े जमा
बस दिखूं मसरुफ़ चाहे यूंही आऊं जाऊं मैं
बहर-वहर, नुक्ते-वुक्ते, सब लगें इनको दुरुस्त
इनके खाने और कमाने को भी कुछ लिख जाऊं मैं
जीते-जी लफ़्ज़ों के जिसके लोग दें मानी बदल
क्या करुं त्वारीख़ में, ऊपर से मर भी जाऊं मैं
-संजय ग्रोवर
19-06-2018
तवारीख=इतिहास history, लफ़्ज़=शब्द word, मानी=अर्थ meaning, मसरुफ़=व्यस्त busy, जद्दोजहद=संघर्ष, अंर्तद्वंद conflict, struggle
एक इकले आदमी की, कैसी है जद्दोजहद
जवाब देंहटाएंकौन है सुनने के क़ाबिल, किसको ये दिखलाऊं वाह । लाजवाब ।
shukriya Sunil.
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