ग़ज़ल
मेरी आवारगी को समझेंगे
लोग जब ज़िन्दगी को समझेंगे
ऐसी शोहरत तुम्हे मुबारक हो
हमने कब तुमसे कहा हम लेंगे
गिरने वालों पे मत हंसो लोगो
जो गिरेंगे वही तो संभलेंगे
क्यूं खुदा सामने नहीं आता
जब मिलेगा, उसी से पूछेंगे
जब भी हिम्मत की ज़रुरत होगी
एक कोने में जाके रो लेंगे
वो अगर मौत से रहा डरता
लोग हर रोज़ उसको मारेंगे
तूने क्या-क्या न हमको दिखलाया
ऐ खुदा! हम तुझे भी देखेंगे
लोग जब ज़िन्दगी को समझेंगे
ऐसी शोहरत तुम्हे मुबारक हो
हमने कब तुमसे कहा हम लेंगे
गिरने वालों पे मत हंसो लोगो
जो गिरेंगे वही तो संभलेंगे
क्यूं खुदा सामने नहीं आता
जब मिलेगा, उसी से पूछेंगे
जब भी हिम्मत की ज़रुरत होगी
एक कोने में जाके रो लेंगे
वो अगर मौत से रहा डरता
लोग हर रोज़ उसको मारेंगे
तूने क्या-क्या न हमको दिखलाया
ऐ खुदा! हम तुझे भी देखेंगे
-संजय ग्रोवर