व्यंग्य
विश्वगुरु बनने का एक ही तरीक़ा है- दूसरे सभी देशों को अपने देश से भी बुरी स्थिति में ले आओ।
इसके लिए आवश्यक है कि-
दुनिया में ज़्यादातर देश खाने-पीने में मिलावट शुरु कर दें।
किसी भी देश में बिना दहेज के लड़कियों की शादी न हो पाए।
सभी देशों के लोग अच्छे काम करना बंद कर दें, अच्छाई के नाम पर कर्मकांड करें, अभिनय करें।
सभी देशों के साहित्यकार मौलिक कुछ न लिखें, देशी-विदेशी पुराने विद्वानों को कोट करके काम चलाएं।
सभी देशों में कट्टरपंथिओं और प्रगतिशीलों में इमेज और बैनर के अलावा कोई भी फ़र्क़ न हो। पढ़े-लिखे प्रोफ़ेसरों-ऐंकरों और अनपढ़ लोगों के तर्क और विवेक बिलकुल एक जैसे हों। प्रगतिशील लोग अंधविश्वास की बुराई तभी करें जब उन्हें पूरी गारंटी हो जाए कि इससे उनके सुननेवालों और अंधविश्वासियों पर रत्ती-भर भी असर नहीं पड़ेगा।
सभी देशों के नागरिकों को अपने आसपास की ज़मीनें क़ब्ज़ानी चाहिएं, मंज़ूरशुदा नक्शे के अलावा मकान में कमरे, छज्जे, टॉयलेट बाथरुम निकालने चाहिए। पड़ोसी कुछ बोले तो सभी नाजायज़ क़ब्ज़ाधारक मिल-जुलकर उसका सर उदारतापूर्वक फोड़ डालें।
सभी देश आदमियों से ज़्यादा महत्व पशुओं, पेड़-पौधों, पहाड़ों और नदियों को दें। उनके लिए, मारना पड़े तो आदमियों को मार-मार कर ख़त्म कर दें। अपनी नदियों को ख़ुद ही इतना गंदा कर दें कि दूसरे दूर से ही देख-देखकर भाग जाएं।
सभी देशों के वे लोग जो ब्लैकमनी के बिना एक करवट तक न ले सकते हों, ईमानदारी पर डिबेट-आंदोलन आदि चलाएं।
इसके अलावा जो भी उपाय याद आएंगे, समय-समय पर दर्ज़ कर दिए जाएंगे। कई उपाय आप भी जानते होंगे।
वैसे विश्वगुरु बनने से हो क्या जाएगा !?
-संजय ग्रोवर
09-03-2016
विश्वगुरु बनने का एक ही तरीक़ा है- दूसरे सभी देशों को अपने देश से भी बुरी स्थिति में ले आओ।
इसके लिए आवश्यक है कि-
दुनिया में ज़्यादातर देश खाने-पीने में मिलावट शुरु कर दें।
किसी भी देश में बिना दहेज के लड़कियों की शादी न हो पाए।
सभी देशों के लोग अच्छे काम करना बंद कर दें, अच्छाई के नाम पर कर्मकांड करें, अभिनय करें।
सभी देशों के साहित्यकार मौलिक कुछ न लिखें, देशी-विदेशी पुराने विद्वानों को कोट करके काम चलाएं।
सभी देशों में कट्टरपंथिओं और प्रगतिशीलों में इमेज और बैनर के अलावा कोई भी फ़र्क़ न हो। पढ़े-लिखे प्रोफ़ेसरों-ऐंकरों और अनपढ़ लोगों के तर्क और विवेक बिलकुल एक जैसे हों। प्रगतिशील लोग अंधविश्वास की बुराई तभी करें जब उन्हें पूरी गारंटी हो जाए कि इससे उनके सुननेवालों और अंधविश्वासियों पर रत्ती-भर भी असर नहीं पड़ेगा।
सभी देशों के नागरिकों को अपने आसपास की ज़मीनें क़ब्ज़ानी चाहिएं, मंज़ूरशुदा नक्शे के अलावा मकान में कमरे, छज्जे, टॉयलेट बाथरुम निकालने चाहिए। पड़ोसी कुछ बोले तो सभी नाजायज़ क़ब्ज़ाधारक मिल-जुलकर उसका सर उदारतापूर्वक फोड़ डालें।
सभी देश आदमियों से ज़्यादा महत्व पशुओं, पेड़-पौधों, पहाड़ों और नदियों को दें। उनके लिए, मारना पड़े तो आदमियों को मार-मार कर ख़त्म कर दें। अपनी नदियों को ख़ुद ही इतना गंदा कर दें कि दूसरे दूर से ही देख-देखकर भाग जाएं।
सभी देशों के वे लोग जो ब्लैकमनी के बिना एक करवट तक न ले सकते हों, ईमानदारी पर डिबेट-आंदोलन आदि चलाएं।
इसके अलावा जो भी उपाय याद आएंगे, समय-समय पर दर्ज़ कर दिए जाएंगे। कई उपाय आप भी जानते होंगे।
वैसे विश्वगुरु बनने से हो क्या जाएगा !?
-संजय ग्रोवर
09-03-2016
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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....