मुर्दाघर की रौशन दुनिया कर देंगे
तुम जागे तो मुर्दे हत्या कर देंगे
लाशें, मोहरे, कठपुतली या भाषणबाज़
बड़ा बनाकर तुमको क्या-क्या कर देंगे
ठगों के झगड़ों में क्या सच क्या झूठ भला
ये तो बस हर रंग को धुंधला कर देंगे
तुम सोचोगे तुम्हे प्रकाशित कर डाला
चारों जांनिब घुप्प अंधेरा कर देंगे
जिनके लिए अच्छाई है सिर्फ़ अदाकारी
वो हर बढ़िया चीज़ को घटिया कर देंगे
तुम कैसे हो इससे इनको क्या लेना
सोचो तुमको घोषित क्या-क्या कर देंगे
-संजय ग्रोवर
28-03-2016
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (30-03-2016) को "ईर्ष्या और लालसा शांत नहीं होती है" (चर्चा अंक - 2297) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मुर्दाघर की रौशन दुनिया कर देंगे
जवाब देंहटाएंतुम जागे तो मुर्दे हत्या कर देंगे
लाशें, मोहरे, कठपुतली या भाषणबाज़
बड़ा बनाकर तुमको क्या-क्या कर देंगे
vartman parishthitiyo ka sach ujagar karti umda rachna ... gud evng jsk :)
संजय जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार!!!
आपका ब्लॉग (samwaadghar.blogspot.in) पढ़ा । आपको हिंदी के एक सशक्त मंच के सृजन एवं कुशल संचालन हेतु बहुत-बहुत बधाई !!!
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