‘हम तुम्हे मंदिर में नहीं घुसने देंगे’
वे बोले
मैं हंसा
कुछ वक़्त ग़ुज़रा
कई लोग हंसने लगे
वे फ़िर आए और बोले-
‘हम तुम्हे मंदिर पर हंसनेवालों में शामिल नहीं करेंगे’
मैं हंसा
कुछ वक़्त और ग़ुज़रा
और कई लोग हंसे
वे फिर चले आए
अबके बोले
‘हमसे घृणा मत करो’
मैं हंसा
बोले-
‘घृणा पर हंसते हो’
मैं हंसा
वे हंसने लगे, बोले-
‘हम भी हंस सकते हैं, देखो
ज़्यादा ऊंची आवाज़ में हंस सकते हैं
हम तुम्हे अपने नये लाफ़्टर क्लब में नहीं आने देंगे’
मैं हंसा
‘तुम किसीसे प्रेम नहीं करते’
वे बोले
मैं हंसा
‘वे हमारे दुश्मन हैं’
वे बोले
मैं हंसा
‘हम तुम्हें उनमें शामिल कर देंगे’
वे बोले
‘हम सब एक हैं’
वे बोले
मेरी हंसी छूट गई
‘हम तुमसे घृणा करते हैं’
वे अंततः बोले
मैं हंसा
हंसता रहा
हंस रहा हूं
-संजय ग्रोवर
23-04-2016
सुन्दर रचना
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