मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

इक बच्चे ने सब देख लिया


ग़ज़ल




इक बच्चे ने जब देख लिया
इक बच्चे ने सब देख लिया

ये बड़े तो बिलकुल छोटे हैं!
इक बच्चे ने कब देख लिया ?

अब किससे छुपते फिरते हो ?
इक बच्चे ने जब देख लिया

अब क्या रक्खा है क़िस्सों में
इक बच्चे ने जब देख लिया

जब करते थे ऊंचा-नीचा
तुम्हे बच्चे ने तब देख लिया

अब हैरां हो तो होते रहो
इक बच्चे ने तो देख लिया

है तुम्ही ने उसमें ज़हर भरा
इक बच्चे ने अब देख लिया

मिल-जुलके जो भी करते हो
बच्चे ने अकेले देख लिया

मारो पीटो बदनाम करो
पर देख लिया तो देख लिया



-संजय ग्रोवर

10-04-2018

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन घनश्याम दास बिड़ला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (12-04-2017) को "क्या है प्यार" (चर्चा अंक-2938) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

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