ग़ज़ल
इक बच्चे ने जब देख लिया
इक बच्चे ने
सब देख
लिया
ये बड़े तो
बिलकुल छोटे
हैं!
इक बच्चे ने
कब देख
लिया ?
अब किससे छुपते
फिरते हो
?
इक बच्चे ने
जब देख
लिया
अब क्या रक्खा
है क़िस्सों
में
इक बच्चे ने
जब देख
लिया
जब करते थे
ऊंचा-नीचा
तुम्हे बच्चे ने
तब देख
लिया
अब हैरां हो
तो होते
रहो
इक बच्चे ने
तो देख
लिया
है तुम्ही ने
उसमें ज़हर
भरा
इक बच्चे ने
अब देख
लिया
मिल-जुलके जो
भी करते
हो
बच्चे ने अकेले
देख लिया
मारो पीटो बदनाम
करो
पर देख लिया
तो देख
लिया
-संजय ग्रोवर
10-04-2018
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन घनश्याम दास बिड़ला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (12-04-2017) को "क्या है प्यार" (चर्चा अंक-2938) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'