नया हास्य
एक दिन पड़ोसियों का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिलने आया, आ ही गया।
बोले आप दिनभर घर पर क्यों रहते हो ?
मैंने कहा ‘क्यों, कोई दिक्क़त है ?’
बोले, ‘दिक्क़त तो बहुत है’
मैंने कहा,‘ख़ुलकर बताओ’
‘कहने लगे,‘क्योंकि हम भी पूरे दिन घर पर ही रहते हैं, कहीं आपको पता न चल जाए इस डर से न तो टीवी देख पाते हैं, न बात कर पाते हैं, न घात कर पाते हैं, न लात कर पाते हैं....वग़ैरह....
‘ओह! मैंने कहा,‘मैं भी चला जाया करुंगा’
‘कहां ?’
‘फ़ेसबुक पर’
-संजय ग्रोवर
एक दिन पड़ोसियों का प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिलने आया, आ ही गया।
बोले आप दिनभर घर पर क्यों रहते हो ?
मैंने कहा ‘क्यों, कोई दिक्क़त है ?’
बोले, ‘दिक्क़त तो बहुत है’
मैंने कहा,‘ख़ुलकर बताओ’
‘कहने लगे,‘क्योंकि हम भी पूरे दिन घर पर ही रहते हैं, कहीं आपको पता न चल जाए इस डर से न तो टीवी देख पाते हैं, न बात कर पाते हैं, न घात कर पाते हैं, न लात कर पाते हैं....वग़ैरह....
‘ओह! मैंने कहा,‘मैं भी चला जाया करुंगा’
‘कहां ?’
‘फ़ेसबुक पर’
-संजय ग्रोवर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-07-2017) को "हिन्दुस्तानियत से जिन्दा है कश्मीरियत" (चर्चा अंक-2668) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह बेहतरीन आईडिया.:)
जवाब देंहटाएंरामराम
#हिन्दी_ब्लॉगिंग