कितनी उम्मीदें लगाकर आगईं फिर तितलियां
काग़ज़ी फूलों से धोखा खा गईं फिर तितलियां
मैंने सोचा फूल बन महकूँ जो उनकी राह में
खुशबू बन ख्वाबों में मेरे छा गईं फिर तितलियां
‘ एक दिल बच्चों के जैसा है तुम्हारी खोज में ’
इतना सुनना था कि बस शरमा गईं फिर तितलियां
कुदरती तानों की रौ में मैं जो इक दिन बह चला
मेरे सुर में सुर मिला कर गा गईं फिर तितलियां
इस चमन से उस चमन इस फूल से उस फूल तक
ज़िन्दगी के बीज कुछ बिखरा गईं फिर तितलियां
-संजय ग्रोवर
ache se lika hai..
जवाब देंहटाएंumidh ke akash mein
jab thitliya udthi hai
jane kyun path hota nahi
ki kon muskuratha hai, yeah dil!!
बहुत शानदार......बहुत ही शानदार..
जवाब देंहटाएंगुलशन-ऐ-शेर-ओ-सुखन है इस कदर महका हुआ
जवाब देंहटाएंकौन से गुल को चुनूँ chakara gayeen फिर titliyaan
Bahut khub likha hai.Badhai.
जवाब देंहटाएंवाह ! वाह ! क़ाबिले-दाद और ‘‘हासिल-ए-ग़ज़ल’’ शेर है, विवके जी !
जवाब देंहटाएंकुदरती तानों की रौ में मैं जो इक दिन बह चला
जवाब देंहटाएंमेरे सुर में सुर मिला कर गा गईं फिर तितलियां
bahut sundar rachna!
संजय जी बेहतरीन ग़ज़ल कही है...लिखते रहें ऐसे ही...वाह..
जवाब देंहटाएंनीरज
वाह!! वाह बहुत बाड़िया..................
जवाब देंहटाएंअपने मेरी सुनी अब हमने बी आपकी रचनाए पदी बहुत आच्छा लिखते हॅ आप
कितनी उम्मीदें लगाकर आगईं फिर तितलियां
जवाब देंहटाएंकाग़ज़ी फूलों से धोखा खा गईं फिर तितलियां
क्या बात है .पहला शेर .हम चुराये ले जा रहे है .....
आप जैसे डाॅक्टरों पर तो कई-कई शेर कुर्बान हैं, अनुराग भाई।
जवाब देंहटाएंMinku ji, Vandanaji, Vivekji, Sandhyaji,Beautiful Nature ji,Neeraj ji, nehaji, Anuragji aap sabka bahut-bahut shukriya jo khaksaar ko itni shabashi bakhshi.
जवाब देंहटाएंमेरे सुर में सुर मिला कर गा गईं फिर तितलियां....oji Gulshan ji aapne ab ye bagon k chkkar kyon lgane suru kar diye ...? hainji..?? ye me ab titalion k piche kyon pad gaye...tusin...??
जवाब देंहटाएंकागजी फ़ूलों से जब धोखा खा गई तितलियाँ
जवाब देंहटाएंमानवी गुण को तब जान गई तितलियाँ
चाहा जो अब महकना, फ़ूल बन के उनकी राहों मे
अब तो मेरे ख्वाबों मे भी न आ रही वो तितलियाँ
kagzee phoolo se dhokha kh gyee titliya.....yaho zindagee hai...
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