ग़ज़ल
जब खुल गई पहेली, तो है समझना आसां
सच बोलना है मुश्क़िल, लेकिन है गाना आसां
पहले तो झूठ बोलो, ख़ुद रास्ता बनाओ
फिर दूसरों को सच का रस्ता बताना आसां
वैसे तो बेईमानी .. में हम हैं पूरे डूबे
माइक हो गर मुख़ातिब, बातें बनाना आसां
हालांकि यूं ही अकड़े, आखिर तो गए पकड़े
मौसेरा भाई पकड़े, है पकड़े जाना आसां
जो तुम तलक है पहुंचा, उन तक भी पहुंच जाए
तुम बन गए अगर तो, उनको बनाना आसां
मैं हर समय हूं जागा, है तब ही मैंने देखा
है जागने की कहकर, सबको सुलाना आसां
-संजय ग्रोवर
26-08-2018
जब खुल गई पहेली, तो है समझना आसां
सच बोलना है मुश्क़िल, लेकिन है गाना आसां
पहले तो झूठ बोलो, ख़ुद रास्ता बनाओ
फिर दूसरों को सच का रस्ता बताना आसां
वैसे तो बेईमानी .. में हम हैं पूरे डूबे
माइक हो गर मुख़ातिब, बातें बनाना आसां
हालांकि यूं ही अकड़े, आखिर तो गए पकड़े
मौसेरा भाई पकड़े, है पकड़े जाना आसां
जो तुम तलक है पहुंचा, उन तक भी पहुंच जाए
तुम बन गए अगर तो, उनको बनाना आसां
मैं हर समय हूं जागा, है तब ही मैंने देखा
है जागने की कहकर, सबको सुलाना आसां
-संजय ग्रोवर
26-08-2018