ख़ज़ाने हमको यां इतने मिलेंगे
सुबह से शाम तक हंसते रहेंगे
नया कह-कहके देते हो पुराना
हम अपने-आप ही अब ढूंढ लेंगे
डराने से ख़ुशी मिलती है तुमको !
डराओ हमको, हम हंसने लगेंगे
बदलती जाएगी ये सारी दुनिया
और हम बस पैंतरे बदला करेंगे
वो ख़ुद ही सीढ़ियां हैं, ख़ुद ही मंज़िल
वो अपने सर की चोटी पर चढ़ेंगे
-संजय ग्रोवर
17/21-10-2013

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार।