लघुकथा
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तब मैं काफ़ी छोटा रहा होऊंगा. मनोरंजन के साधनों में रेडियो प्रमुख था.
मैं रेडियो से आती तरह-तरह की आवाजें सुनकर हैरत में पड़ जाता और सोचता कि किसी दिन रेडियो को खोलकर देखूं, ज़रुर इसमें से छोटे-छोटे आदमी-औरतें निकलेंगे.
एक दिन किसी वजह से किसीने रेडियो खोला तो उसमें से एक छोटा-सा चूहा निकला और देखते-देखते कहीं ग़ायब हो गया.
-संजय ग्रोवर
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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....