ग़ज़ल
मैं से हम होते जाओ
लूटो, मिलजुलकर खाओ
सुबह को उठ-उठकर जाओ
शाम को चुप-चुप लौट आओ
गगन पे गुंडों का क़ब्ज़ा
तुम भी जाकर छा जाओ
ये वो थे और वो ये हैं
बुरा ढूंढकर दिखलाओ
ऊंचेपन के चक्कर में
टुच्चेपन से भर जाओ
मोहरे हैं और कठपुतली
जाओ जाकर चुन लाओ
कमज़ोरों की राह यही
बुरे को अच्छा बतलाओ
बदनामी से बचना है
नाम करो, चुप हो जाओ
आखि़र ज़िंदा दिखना है-
पहले दिन से मर जाओ
मातम भी तो मज़ाक़ है
आओ, थोड़ा हंस जाओ
बड़ा आदमी बनना है-
नहाओ, धोओ, सो जाओ
-संजय ग्रोवर
11-01-2017
मैं से हम होते जाओ
लूटो, मिलजुलकर खाओ
सुबह को उठ-उठकर जाओ
शाम को चुप-चुप लौट आओ
गगन पे गुंडों का क़ब्ज़ा
तुम भी जाकर छा जाओ
ये वो थे और वो ये हैं
बुरा ढूंढकर दिखलाओ
ऊंचेपन के चक्कर में
टुच्चेपन से भर जाओ
मोहरे हैं और कठपुतली
जाओ जाकर चुन लाओ
कमज़ोरों की राह यही
बुरे को अच्छा बतलाओ
बदनामी से बचना है
नाम करो, चुप हो जाओ
आखि़र ज़िंदा दिखना है-
पहले दिन से मर जाओ
मातम भी तो मज़ाक़ है
आओ, थोड़ा हंस जाओ
बड़ा आदमी बनना है-
नहाओ, धोओ, सो जाओ
-संजय ग्रोवर
11-01-2017
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन - पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 51वीं पुण्यतिथि में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंलोगों में यही मनोवृत्ति है आजकल- खोल कर रख दिया आपने .
जवाब देंहटाएंsateek.....
जवाब देंहटाएंVery great post. I simply stumbled upon your blog and wanted to say that I have really enjoyed browsing your weblog posts. After all I’ll be subscribing on your feed and I am hoping you write again very soon!
जवाब देंहटाएंHey keep posting such good and meaningful articles.
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