दो कविताएं
1.
जब सब कुछ ईश्वर ने ही करना है तो
मैंने सुना है कि कोई ईश्वर है जो हर कहीं मौजूद है
मैं तो सुनी-सुनाई बातों में यक़ीन नहीं करता
तुम करते हो तो बताओ कहां-कहां है?
उस आदमी में जो कुचला गया?
उस बुलडोज़र में जो उसपर चढ़ गया?
या उसमें जो बुलडोज़र चला रहा है?
या उसमें जो चलवा रहा था?
या उनमें जो देख रहे थे?
और उनमें भी जो देखकर भी नहीं देख रहे थे?
उनमें तो ज़रुर जो बुलडोज़र की ख़बर पर बुलडोज़र चला सकते थे!
या फ़िर सबमें रहा होगा!
यानि ईश्वर, ईश्वर पर बुलडोज़र चला रहा था,
ईश्वर मर रहा था
ईश्वर मार रहा था
ईश्वर भाग रहा था
ईश्वर हंस रहा था
ईश्वर फंसा रहा था
ईश्वर फ़ंस रहा था
ईश्वर यह भी कर रहा है
ईश्वर वह भी करवा रहा है
जब सब कुछ ईश्वर ने ही करना और करवाना है
तो फिर मेरे और तुम्हारे होने का क्या मतलब हुआ ?
हम यह दुनिया ख़ाली क्यों नहीं कर देते ?
उन लोगों के लिए
जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं।
01-05-2014
2.
यह आदर नहीं राजनीति है मां
मां मैं तेरा बहुत आदर करता हूं
मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं मां
मां मैं तेरे बिना रह नहीं सकता मां
मां जो मैं कह रहा हूं तू समझ रही है न मां !
मां जो मैं कह रहा हूं अगर वह सही है
तो फिर ऐसा क्यों न हुआ मां!
कि बरामदे में पोचा मैं लगाता और बैठक में हलवा तू खाती
रसोई के अंधेरे में दाल से कंकर मैं बीनता और फ़िल्म देखने तू जाती
तू रात एक बजे अंधेरे में अपने दोस्तों के साथ घर लौटती
और मैं बिना कोई सवाल किए तेरे लिए खाना गर्म करता
यह कैसा आदर है मां, यह कैसा प्यार है
कि जिसका आदर हो रहा है उसे सारे नुकसान झेलने होते हैं
जो आदर करता है वो सारे ऐश करता है
यह आदर है कि राजनीति है मां
तू कभी पूछती क्यों नहीं
सोचती क्यों नहीं
मैं एक नंबर का झूठा हूं मां
मेरी बात का बिलकुल विश्वास न करना
अभी भी वक़्त है
अपनी बची-ख़ुची ज़िंदग़ी को बचा ले मां
-संजय ग्रोवर
04-05-2014
1.
जब सब कुछ ईश्वर ने ही करना है तो
मैंने सुना है कि कोई ईश्वर है जो हर कहीं मौजूद है
मैं तो सुनी-सुनाई बातों में यक़ीन नहीं करता
तुम करते हो तो बताओ कहां-कहां है?
उस आदमी में जो कुचला गया?
उस बुलडोज़र में जो उसपर चढ़ गया?
या उसमें जो बुलडोज़र चला रहा है?
या उसमें जो चलवा रहा था?
या उनमें जो देख रहे थे?
और उनमें भी जो देखकर भी नहीं देख रहे थे?
उनमें तो ज़रुर जो बुलडोज़र की ख़बर पर बुलडोज़र चला सकते थे!
या फ़िर सबमें रहा होगा!
यानि ईश्वर, ईश्वर पर बुलडोज़र चला रहा था,
ईश्वर मर रहा था
ईश्वर मार रहा था
ईश्वर भाग रहा था
ईश्वर हंस रहा था
ईश्वर फंसा रहा था
ईश्वर फ़ंस रहा था
ईश्वर यह भी कर रहा है
ईश्वर वह भी करवा रहा है
जब सब कुछ ईश्वर ने ही करना और करवाना है
तो फिर मेरे और तुम्हारे होने का क्या मतलब हुआ ?
हम यह दुनिया ख़ाली क्यों नहीं कर देते ?
उन लोगों के लिए
जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं।
01-05-2014
2.
यह आदर नहीं राजनीति है मां
मां मैं तेरा बहुत आदर करता हूं
मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं मां
मां मैं तेरे बिना रह नहीं सकता मां
मां जो मैं कह रहा हूं तू समझ रही है न मां !
मां जो मैं कह रहा हूं अगर वह सही है
तो फिर ऐसा क्यों न हुआ मां!
कि बरामदे में पोचा मैं लगाता और बैठक में हलवा तू खाती
रसोई के अंधेरे में दाल से कंकर मैं बीनता और फ़िल्म देखने तू जाती
तू रात एक बजे अंधेरे में अपने दोस्तों के साथ घर लौटती
और मैं बिना कोई सवाल किए तेरे लिए खाना गर्म करता
यह कैसा आदर है मां, यह कैसा प्यार है
कि जिसका आदर हो रहा है उसे सारे नुकसान झेलने होते हैं
जो आदर करता है वो सारे ऐश करता है
यह आदर है कि राजनीति है मां
तू कभी पूछती क्यों नहीं
सोचती क्यों नहीं
मैं एक नंबर का झूठा हूं मां
मेरी बात का बिलकुल विश्वास न करना
अभी भी वक़्त है
अपनी बची-ख़ुची ज़िंदग़ी को बचा ले मां
-संजय ग्रोवर
04-05-2014
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-05-2014) को "मुजरिम हैं पेट के" (चर्चा मंच-1603) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन में शामिल किया गया है... धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंसोमवार बुलेटिन
Wow.This is different.Too good
जवाब देंहटाएंईश्वर तो है हम में तुम में सब में जड चेतन सब में पर वह है , है और है। वह कुचला नही जाता वह कुचलता भी नही ।यह जीव का प्रारब्ध है।
जवाब देंहटाएंयह कौनसी माँ है............।
यह जीव का प्रारब्ध है तो ईश्वर किस लिए है ?
हटाएंयह वह औरत है जो कल तक सती होना सामान्य घटना समझतीं थी।
हटाएंआधुनिकता की पहल माँ से हो तो सबकुछ आधुनिक होने में ज्यादा समय नही लगेगा।
जवाब देंहटाएंआधुनिकता की पहल माँ से हो तो सबकुछ आधुनिक होने में ज्यादा समय नही लगेगा।
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