थोडी देर को मान लीजिए कि सरकार लालवाणी जी की बन गई है।
मगर इसबार विदेशी बहू की तरह कुर्बानी लालवाणी जी ने ही दे डाली है।
उनका कहना क़ाबिले-ग़ौर है कि पड़ोस में जींस रोकने वाले और जज़िया लगाने वाले कट्टरपंथी आ गए हैं और हमारा तो जीना-मरना सब पड़ोस की वजह से है तो ज़ाहिर है कि प्रधान भी कोई उन्हीं के टाइप का होना चाहिए। लालवाणी जी ने बाबा बयानदेव जी को प्रधान-संत्री और बाबा धांसूराम पोपू को राष्ट्राचार्य बना दिया है। बाक़ी कैबिनेट पर आप अंदाज़े मारिए।
मेरी दूर-दृष्टि अनुसार देश का भावी दृश्य कुछ इस प्रकार बनता है:-
मनोचिकित्सकों को पकड़कर ओझाओं और बाबाओं के हवाले कर दिया गया है। बाबा उन्हें पेड़ो से लटकाकर, नीचे से लाल मिर्चों की धूनी देकर इन पश्चिम-परस्तों का ‘इलाज’ कर रहे हैं।
सभ्यता और संस्कृति को शीघ्र पतन से बचाने के लिए स्त्रिओं के लिए एक बोरानुमा पोशाक का निर्माण किया गया है। माना गया है कि चूंकि इस का रंग काला नहीं है इसलिए इसकी तुलना दूसरी पोशाकों से करना अपने देश और धर्म से गद्दारी करना होगा।
अभी-अभी पता चला है कि युद्ध-स्थल पर दुश्मन देश ने हमारी सेनाओं के सामने बिल्ली छोड़ दी है। बिल्ली द्वारा रास्ता काट जाने के चलते हमारी सेनाएं हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। पुरोहितजन इस अनोखी रणनीति की काट ढंूढ रहे हैं। इस बीच दुश्मन हमारी ज़मीन कब्जाता चला जा रहा है।
इससे आगे का व्यंग्य आप पूरा करें---------
(संजय ग्रोवर)
अपने दिमाक का तुरंत इलाज कराओ
जवाब देंहटाएंअरेरे संजू भईया, कब आये आगरे ते छूटिकैं लला, अलाज तो पूरौ करबाय लेते!
जवाब देंहटाएंजेई कई हती कै दबाई टैम पे खाते रैते तो एसी हाल्त नांय होती, जा खोपड़ी के प्याले ते जादा ही परेसान है गये दीखौ!
अबई जादा देर नांय भई, दबाई खाय लेउ, नांय तो एसेई आंय बांय पैंकते रहोगे
अगली बार जब आगरे जाउ तो पूरमपट्ट अलाज करबाय कैं बापिस अईयो
जै क्रिशन मुरारी की
जै राधा प्यारी की
पुरोहितजन इस अनोखी रणनीति की काट ढंूढ रहे हैं। kaat to woh dundh lete magar kisee ne chheenk diya shayad...
जवाब देंहटाएंजी हां, कुछ ओझाओं से ‘कंसल्ट’ कर रहा हूं। इस दौरान आप मेरी पिछली पोस्ट की ग़ज़ल का पहला शेर पढ़ें। व्यंग्य को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंraj said...
जवाब देंहटाएंपुरोहितजन इस अनोखी रणनीति की काट ढंूढ रहे हैं। kaat to woh dundh lete magar kisee ne chheenk diya shayad...
और छींकने का इलाज करवाने जाते इससे पहले ही किसी ‘ऊपरी हवा’ ने धावा बोल दिया......
भारत में स्त्रियों ने कभी बोरानुमा कपड़े नहीं पहने। लाख बुराई हों हममें किन्तु यह बुराई तो आयातित है। इसे भारतीय सस्कृति तो न कहिए।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
फिलहाल हम किससे होड़ कर रहे हैं और किस ओर अग्रसर हैं, व्यंग्य उसपर है।
जवाब देंहटाएंऔर बोरे से यहां मतलब उस स्त्री शरीर को सिर से पांव तक ढंक देने से है जिसे कथित राष्ट्रवादी पूरा का पूरा ही अश्लील मानते हैं।
जवाब देंहटाएंभइये हमारे मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री तो अभी भी यग्य करा के वर्षा करने का दावा कर रहा है अब ये बात अलग है की पूरेप्रदेश के मुख्य मंत्री के पूरे प्रदेश में वर्षा नहीं हुयी और जहां जहां हुयी वहां से उसकी पार्टी हारने वाली है
जवाब देंहटाएंvirendra jain
ना-ना! गड़बड़ा गए आप! इस पूरी प्रक्रिया की कल्पना आपने वैसे ही कर डाली जैसे नेहरू परिवार करता है. अरे भाई इस देश पर मालिकाना भाव से राज सिर्फ़ नेहरू परिवार ही कर सकता है. वह जब सत्ता से बाह्र हो तो भिंडरावाले को संत घोषित कर सक्ता है. आरक्षण के ख़िलाफ़ युवाओं से आत्मदाह करवा सकता है. ढांचा ढहना गुनाह है, और ताला खुलवाना पुण्यकर्म हो सकता है. चन्द्रास्वामी से लेकर बाबा बाकरदास तक से तांत्रिक पूजाएं करवाई जा सकती हैं. लेकिन यह सब सिर्फ़ एक परिवार के लिए है. अडवाणी कुछ दूसरे ढंग से करेंगे. उस बारे में अपनी कल्पना शक्ति को थोड़ा और मांजिए.
जवाब देंहटाएंमैंने तो आपकी कल्पना शक्ति पर छोड़ा था.....
जवाब देंहटाएंटिप्पणियों से लग रहा है कि आपका व्यंग्य किसी को समझ में ही नहीं आया।
जवाब देंहटाएंवैसे याद होगा कि पहले भी कुछ लोग दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में ज्योतिष-हस्तरेखा का कोर्स शुरू करने की असफल कोशिश कर चुके हैं। फैकल्टी का कहना था कि उन्हें ज्योतिष या हस्तरेखा-विज्ञान पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस कोर्स के सिलेबस और पठन-सामग्री आपत्तिजनक थी।
हमारे भारत देश में सभी लोग सैद्धांतिक तौर पर अपने आप को देशप्रेमी घोषित करते हैं, लेकिन देशप्रेम से ज्यादा प्रेम उन्हें राजनैतिक पार्टियों से होता है, फिर चाहे उनके कुछ भी सिद्धांत हों (या कुछ भी सिद्धांत न हों)।
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ...........
जवाब देंहटाएंइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽ
एक भयावह सम्भावना की ओर संकेत करता है आपका आलेख जो पूरी तरह हवाई भी नहीं है।
जवाब देंहटाएंबधाई।
गुरुवर इसमें व्यंग्य कहाँ है? इसमें कल्पना भी नहीं है. आपने जो लिखा है वही होनेवाला है. भारत को आदिम काल में ले जाने की सोच ही जिनकी हो वे और कर भी क्या सकते हैं! अडवाणी जी आयेंगे तो यही सब होगा. याद है जब पिछली बार एनडीए की सरकार बनी थी तो बाबा लोगों की चांदी हो गयी थी. विकास कार्यों की जगह देश के कोने-कोने में यज्ञ हो रहे थे. उन्हीं यज्ञों ने भाजपा की लुटिया डुबो दी.
जवाब देंहटाएंअभी-अभी पता चला है कि जमादार से लड़ने वाले एक व्यक्ति को इस वर्ष का ‘देशरत्न’ सम्मान देने की घोषणा की गई है। एक अन्य व्यक्ति जो भ्रष्टाचार से लड़ता-फिरता था, को पागलखाने में दाखिल करा दिया गया है।
जवाब देंहटाएंब्लॉग अच्छा लगा,
जवाब देंहटाएंव्यंग्य सच्चा लगा,
भई वाह आपका अंदाज़ भी अ ल ग है.... शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआपका लेख प्रशंशा योग्य है!
जवाब देंहटाएंअच्चा.. क्या आप मुझे ये बता सकते हैं कि मै अपने द्वारा बनाये गए animation और videos किस प्रकार से चिठ्ठाजगत के माध्यम से लोगो तक पंहुचा सकता हूँ?
RAJEEV THEPRA>bhootnath said...
जवाब देंहटाएंइक सवाल हूँ मैं....मैं कौन हूँ....!!
इक सवाल है तू....तू कौन है .....!!
छोड़ ना सवालों की यह झड़ी....
मैं और तू मिल ही क्यूँ ना जाएँ.....!!
VYANGA achha laga . aap aise hi vyanga - vaan chalate rahiye .
जवाब देंहटाएंprabandha
maniachi
इधर संकटमोचन मंत्री बाबा नाम नैनसुख जी ने चिंता प्रकट की है कि गरीब बच्चों में कुपोषण की समस्या अति गंभीर है। इसके चक्कर में भारी मात्रा में यज्ञ-हवनादि कराने पड़ेंगे। जिसके चक्कर में देसी घी के पीपे पे पीपे बहाने पड़ेंगे। वक्तव्य देते वक्त बाबाजी के चेहरे से घी पसीने की तरह टपक रहा था।
जवाब देंहटाएंBILLI K RASTA KAAT JANE K BAAD SAADH PITA JI KO AAGE KARKE YUDH SURU HUA LEKIN BHASMASHUR JI PATA NAHI KAHAN GAYAB HO GAYE NAHI TO UNKO SAMJHA BUJHAKAR MANSIK APAHIJ LOG JA KAR BHASMASHUR JI KO SAMJHA BUJHAKAR YUDH JEET LIYE HOTE . HAMARE OJHA JI AISA MANTR PADHTE KI SAARI PAKISTANI SENA AMERICA PAHUNCH JAATI .
जवाब देंहटाएंHAMARI SAARI TAKAT NAKLI DESH PREM RASHTRVADITA BHASHAYI PREM MEIN HI LAGI REHTI HAI PAKISTAN VIRODH ,JAMMU AUR KASHMIR HAMARA HAI,AKHAND BHARAT KI PARIKALPANA HUM SOTE JAGTE KARTE REHTE HAI KABHI HUMNE MILAVATKHOR JAMAKHOR ,NAKLI DAVA BECHNE VALE ,NAKLI NOTE CHALANE VALE LOGO K KHILAF KOI BAAT HUM NAHI SOCHTE HAI .DESH KA NABBE PRATISHAT ADHIKARI KARAMCHAARI GHOOSH LENA APNA PARAM KARTAVY SAMAJHTA HAI .HONESTY IS THE BEST POLICY .KABHI HAMARA AGENDA NAHI HO SAKTI HAI .HUM HINDUVATV HINDUSTAAN ,HINDI KA MUKHUTA LAGA KAR RASHTR PREM KARTE RAHENGE .DESH K KHILAAF VIDESHO K LIYE JASOOSHI KARNE VALE LOG BHYI ISI TARAH K LOG HAI .DESH MEIN PEHLA VIDESHI JASOOSH MOHAN LAL KAPOOR THA INKI EK LAMBI JAMAT MUKHAUTA LAGAYE IS DESH MEIN UPDESH DENE KA KARY KAR RAHI HAI ,UPDESH AUR UPDESHAK MEIN AKASH AUR PATAL KI GEHRAI KA ANTAR HAI . YAHI DUNIYA KA SABSE BADA VYANG HAI .
BHARAT BHUSAN KI YAH KAVITA KA ARTH IS VYANG KO POORA KARTA HAI :
SABHI ADHAR YADI NISHABD HOTE
NA PYASS ITNI JAVA NA HOTI
NA JANM LETA AGAR KAHI MAIN
DHARA BANI YADI MASAAN HOTI .
NA MANDIRO MEIN MRADANG BAJTE
NA MASJIDO MEIN AJAAN HOTI .
AGAR PASAND AAYE TO APNE BLOG PAR PRAKASHIT KAR DIJIYEGA .
SUMAN
loksangharsha.blogspot.com
सबसे बढिया बात राज जी ने कही है.जब बिल्ली के रास्ता काटने से रुकी सेना बढने को हुई तो किसी ने छींक दिया. वाह.... वैसे व्यंग्य बहुत बढिया जा रहा है, इसे आप ही पूरा करें न!!
जवाब देंहटाएंअनार खूब चलाया है।
जवाब देंहटाएंमुझे भी राज का कमेंट काफी जंचा।
जवाब देंहटाएंइधर बज़रिए ईमेल kishore choudhary का कहना है:-
संजय जी,
एक बार सोचा क्या बला है फिर मेरा खाना भी ख़राब निकला कि एक साथ सरसरी तौर पे बीस एक ग़ज़लें पढ़ गया . कमाल हैं आप तो
और व्यंग्य का तो कहना ही क्या अभी अभी सम्पूर्ण आदमी पढा ... ओह ओ बस इस बार की छुट्टी में आपकी ब्लॉग किताब पढूंगा.
किशोर
इधर प्रदेश-प्रधान ओझा चक्कू गोदमगोदी जी भी आजकल विकास पर उतारु हैं। उनका कहना है कि राज्य के सभी सती-मंदिरों का निर्माण अब अमेरिकी कंपनी के कोलाबोरेशन से होगा। रॉ मॅटीरियल इंग्लैण्ड से आएगा। हाँ, जलने वाली औरतें यहीं की होंगी। हो सकता है बाद में कोई देश इस पर भी राजी हो जाए।
जवाब देंहटाएंश्री चक्कू गोदमगोदी ने यह भी बताया कि हमारी तानाशाही एकदम लोकतंत्र के माफिक होगी। छवि हमें प्रगतिशील वाली बनाए रखनी है।
जवाब देंहटाएंइसी क्रम में श्री ओझा चक्कू ने कहा कि लड़के और उसके घर-परिवार की हैसियत और जात-बिरादरी के अनुसार दहेज की गणना कैसे की जाए, इसके लिए भी एक विदेशी कंपनी से फाॅर्मूला विकसित करने का करार हुआ है। साथ ही, हमारी इस सांस्कृतिक धरोहर का पेटेंट कोई दूसरा देश अपने नाम से न करा ले, इस पर भी एक गुप्त समझौते की बात दोनों देशों के मध्य चल रही है।
जवाब देंहटाएंये चौके छ्क्के अच्छे मारे हैं बाकी सर्कार के बारे मे क्या कहें राम भरोसे ही चलेगी
जवाब देंहटाएंचक्कू जी ने यह भी तो कहा होगा गुरुवर कि जो ‘भगवा-न’ हैं वो या तो हमारे कहे अनुसार चलें नही ंतो उन्हें गैस-चैम्बर में डाल दिया जाएगा।
जवाब देंहटाएंwow!wayang still continue.....par kya satee ourte hi hongee???woh janamo tak rishte nibhana chahtee hai???or marad.....??unke mandir ka collaboration kon se desh se hoga??oujha jee mardo pe bhi koee jhaadh foonk kare....
जवाब देंहटाएंदानव संसाधन विकास मंत्री के मन में आया कि क्यों ना देश के सभी नागरिक एक ही रंग के कपड़े पहनें। उन्होने दिमाग लगाया कि केसरिया या भगवा रंग- नहीं वह तो कौमवादी लोग पहनते हैं तो फिर हरा रंग? नहीं जबरन यह रंग पहनाने से तो दूसरे रंग के लोग नाराज होंगे! वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते थे। तो फिर पीला रंग, नहीं उसे तेलुगुदेशम वाले बाबू पहनते हैं, गुलाबी- उसे तैलंगाना वाले पहनते हैं।
जवाब देंहटाएंकाफी माथापच्ची करने और कपड़ा संत्री कंकरसिंह से सलाह मशविरा कर दानव संसाधन विकास मंत्री दुर्जनसिंह ने अद्यादेश जारी किया कि भारत के सभी कपड़ा कारखाने बिना किसी रंग के यानि पारदर्शक कपड़े ही बुनें जिससे किसी भी धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं लगेगी।
भई, आपके कमेंट को पढ़कर अकेले बैठे-बैठे भी हंसी छूट गयी ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंएक महिला पत्रकार ने स्त्री-पुरुष के मध्य सामाजिक, धार्मिक भेदभाव का सवाल उठाया है। महीमहिमा प्रचण्ड राष्ट्रदेविका झूलते-झूलते एकाएक स्थिर हो गयी हैं। गरिमामय माहौल में उन्होंने तीव्र सहिष्णुता के साथ, डांटती-डराती आंखों से पत्रकारिन को घूरा है। तत्पश्चात अगेन मौन में चली गयीं हैं। पत्रकारिन इस पवित्र ‘घूरन’ में निहित जवाब को समझ गयी है कि ‘अगर सवाल करना था तो फिर हमें क्यों चुना ? संदेह करना था तो श्रद्धा क्यों रखी ?’ पत्रकारिन ने पैरामृत वगैरह सिरोधार किया और करवाचैथ का सामान खरीदने को प्रोग्रेसिव-ऑर्थोडॉक्स स्टोर्स की तरफ निकल गयी है।
जवाब देंहटाएंरतिदेवी व्यथित हैं कि मरीज़ चंगा नहीं हो रहा।
जवाब देंहटाएं‘कोई उपाय बताओ, महाचेली !’
महाचेली:-
‘आ रति, गा। आ रति गा।’
‘आ रती, गा। आ रती गा।’
‘आरती, गा। आरती गा।’
आ ! आहा ! मरीज कुनमुना रहा है ! सिर पर दोहत्थड़ मार रहा है। समझिए कि ठीक हो रहा है ! चमत्कार हो रहा है !
डॉक्टरों को झोलों में भर-भर समुद्र में फेंका जा रहा है। बहते-बहते अमेरिका पहुंच जाएंगे। अमेरिका इन्हें लपक लेगा। फायदा उठाएगा। जिसका वर्णन अगले ग्रंथों में होगा। अमेरिका को कुछ नहीं आता ! हम फेंकते हैं वो लपक लेता है, बस !
‘आ रति, गा। आ रति गा।’
यह अधूरा व्यंग्य नहीं, एक भयावह सम्भावना का संकेत है.
जवाब देंहटाएंलीजिए मित्रो, हमारे लिए एक खुशखबरी है। बजरिए ईमेल पंजाबी कलमकार श्री MohinderPal Bedi का कहना है:-
जवाब देंहटाएंGrover Bhai,
Aap log mil kar is Viang ko pura kar lain ...main isay Punjabi main anuwad kadun ga.
Bedi at mereanuwad.blogspot.com
main vang likhne aur padhne ke mamle main thodi kacchi hoon....isliye maaf kijiyega.mere blog main aane ke liye dhanyawaad
जवाब देंहटाएंmain apke vayang ko poora karne main apki madad nahi kar sakti..kyunki main is mamle main kacchi hoon.....mere blog main aane ke liye dhanyawaad
जवाब देंहटाएंएक बार मुझे घुसने दो, फिर निकालता हूं तुम्हारा सारा व्यंग्य-पंग।
जवाब देंहटाएंतुम तो आॅलरेडी ज़र्रे-ज़र्रे में विद्यमान हो महा गुरु। ध्यान रखना, हमें भी पता है तुम सब बिन-प्रोफाइल लोगों का प्रोफाइल एक सा होता है। बिन-प्रोफाइल-महिमा से ही तो यह व्यंग्य आगे बढ़ रहा है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंश्री श्री सरकार 2009 ने घोषणा फूंकी है कि जो संपादक तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत, नाग-नागिन, भाग्य-दुर्भाग्य-सौभाग्य, ज्योतिष-हस्तरेखा, हाहाकारी-पुनर्जन्म-भूतनी, आदि-इत्यादि पर विशेषांक निकालेंगे उन्हें मोटा-मोटा अनुदान दिया जाएगा। इस पर कई लघुपत्रिकाचारियों की प्रतिक्रियाएं हैं कि अगर यादवजी सिर हिला दे ंतो हम भी फाॅलोकरण कर लेंगे। क्या है कि वे कह दे ंतो सब जायज़ हो जाता है। नही ंतो उनके विरोध के नाम पर जायज़ हो जाता है। सो वे मना कर दे ंतो और भी बढ़िया रहेगा।
जवाब देंहटाएंअभी कल ही पता चला है कि जया प्रदा ने
जवाब देंहटाएंपंडित के कहने पर गौ दान किया है !
अब जीत पक्की है !
है कोई काट आजम खान के पास ?
दोस्तो, 16 मई से पहले-पहले व्यंग्य पूरा कर लो। उसके बाद किसी तांत्रिक ने मेरा कम्प्यूअर हैंग करके मुझे हंग कर दिया तो मुझसे मत कहना।
जवाब देंहटाएंसंजू भईया गयेन तो रहें अलाज करबाय ....
जवाब देंहटाएंपर का किया जाए .... उहाँ कै बड़का डाक्टर कहे हैं एई तनिके अलाज न हुयी पायी ..... अलाज करवावै का है तो मरीज का साथै मां लेके आवौ !! तौ कित्तै खन चलिहो साथै मां !
पता चला है कि बाबाओं, ओझाओं, तांत्रिकों, विज्ञान-विरोधियों और इण्अरनेट के सनातन दुश्मनों आदि सबने अपने-अपने ब्लाॅग खोल लिए हैं। एक संयुक्त बयान में उक्त सभी विद्वानों ने कहा है कि ब्लाग कोई नयी चीज़ नहीं है। हमारे ग्रन्थों में इसका भरपूर वर्णन है। जिस पीपर-पात पर हम लिखा करे थे और जो उड़ि-उड़ि कर छन-भर में इधर से उधर पहंुच जाया करते थे, वही बिलाग थे। इसका पूरा विवरण हम बाद में बनाकर देंगे, ऐसा उन्होने संयुक्त वक्तव्य में कहा है।
जवाब देंहटाएंमित्रों, अगर लालवानी जी आ गए तो मैं आपसे अगले जन्म में मिलूंगा (हां, हां, पुनर्जन्म को मैं भी नहीं मानता पर उनके आने के बाद तो मानना पड़ेगा न।)। और अगर कोई दूसरी सरकार आयी तो इसी जन्म में अगले जन्म की कामना करता मिलूंगा।
इति-फिति।
(यानि कि इतना ही आता है मुझे)।
अगले शुक्रवार को पड़ौसी मुल्क का नया नाम तालिबानिस्तान रखा जायेगा। इस मुल्क का नाम पहले ओसामाबाद रखा जाना था, परन्तु हजरत ओसामा ने अपने पड़ौसी मुल्क भारत की त्याग परंपरा को अपनाते हुए अपने नाम से मुल्क का नाम रखने की बजाय तालिबानिस्तान रकने का निश्चय किया, और उनके इस कदम से चहुं ओर से उनकी प्रशंसा हो रही है, कई मुल्कों ने उन्हें प्रशंसा पत्र भेजे हैं जो AK 250 पर छपे हुए हैं।
जवाब देंहटाएंभारतीय दानव विकास सम्साधन मंत्री दुर्जन सिंह ने ने हजरत ओसामा के इस महान त्याग को; भारतीय छात्रों को त्याग की महिमा समझाने हेतु पढ़ाने का निश्चय किया है और सभी स्कूलों को आदेश दिया है कि चालू वर्ष से पुआरी सभी किताबों को हटा कर नई किताबें पाठयक्रम में शामिल की जाये जिनमें हजरत ओसामा के त्याग पर एक विस्तृत लेख हो।
जवाब देंहटाएंनामकरण समारोह में हजरत ओसामा ने भारत सरकार को और लालवाणी जी को विशेष रुप से आमंत्रित किया है, क्यों कि पिछले दिनों लालवाणी जी ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओसामाजी को बिन साम्प्रदायिक कहा था।
जवाब देंहटाएंभारत में यह समाचार पहुंचते ही पक्श- विपक्ष के दलों में इस समारोह में शामिल होने की होड़ सी मच गई है। तांगारेस के जिन नेताओं को इस समारोह में जाने का मौका नहीं मिल पा रहा वे अमृतसर से तांगे में बैठ इस समारोह में शामिल होंगे।
भारत में शुभ प्रसम्गों में दी जाने वाली पशुओं की बलि से प्रभावित होकर तालिबानी सरकार के प्रणेताओं ने इस शुब अवसर पर २१ अमरीकन पत्रकारों की बलि देने का निश्चय किया है।
जल्दबाजी में हुई गलतियों के क्षमा चाहता हूं।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग "हमसफ़र यादों का......." पर पधारने तथा मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, चलिए इसी बहाने आपके ब्लॉग से परिचय हो गया। जहाँ तक बात रही व्यंग्य पूरा करने की तो बताना चाहूंगा कि इस मामले में थोड़ा कच्चा हूँ। वैसे मुझे आपका यह प्रयोग काफ़ी पसंद आया। पधारते रहिएगा। पुनःश्च धन्यवाद!!!
जवाब देंहटाएंसाभार
"हमसफ़र यादों का......."
भाई सागर जी, आपने जिस निरपेक्ष ढंग से इस व्यंग्य को संतुलित किया है, प्रशंसनीय है।
जवाब देंहटाएंचीन से कुछ इलैक्ट्राॅनिक तोते मंगाए गए हैं जो फ्रांस से आए रंगीन पिंजरों में बैठकर लोगों का भविष्य बांचेंगे। कंप्यूटर से कुण्डलियां तो हम कब से निकाल ही रहे हैं।
जवाब देंहटाएंऔर भी कई योजनाएं हैं।
अगर आप भी इस तरह की प्रगतिशीलता में विश्वास रखते हैं तो अपने सुझाव आगामी-अतीत-मंत्री को भेज सकते हैं।
अच्छा प्रयास है।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
घर-बाहर की औरतों, काॅलेजों के प्रिंसीपलों और लेखकों-चिंतकों-चित्रकारों-पत्रकारों को पीटने के लिए अब विद्यार्थियों की सेनाएं नहीं जाएंगी। इसके लिए जापान से रोबोट मंगाए जाएंगे।
जवाब देंहटाएंबदरंग-दाल के काले-दिल-सेवक पार्क में घेरा बनाए हैं। पता चला है कि एक लड़का-लड़की को सुधार रहे हैं। लड़का-लड़की गुहार लगा रहे हैं कि सर, अब तो प्रेम हमारे समाज में स्वीकृत हो गया है, आपके बच्चा-बच्ची भी करते दिख जाते हैं। फिर हमें क्यों रोक रहे हैं !? काले-दिल प्रश्नोत्तर दे रहे हैं कि चलो स्वीकृत हो गया तो करलो पर अर्जेंटाइन डे क्यों मना रहे हो, अपना वाला पसंतोत्सव क्यों नहीं मनाते ? बच्चा-बच्ची का जुबान जरा और हिला तो बोल दिए कि सरजी प्यार कोई फिल्म या राजनीति है जो किसी बैनर के नीचे मनाना जरुरी है ? अब देखो बदरंग-दाल का गुस्सा ! कह रहे हैं कि या तो लगाओ हमारा झण्डा या बताओ कि कहां लगाएं तुम्हे डण्डा ?
जवाब देंहटाएंअब बताईए तो लड़का-लड़की क्या करेंगे ?
दहेज के लिये बहुओं को जलाने के लिये आज विश्व के सभी बड़े अखबारों में टेंडर दिया जा रहा है, लेकिन भारत को इस व्यवसाय से बाहर रखा गया है, क्यों कि भारतीय इस मामले में अनाड़ी है बहू को जलाते जलाते अपने हाथ (और दामन भी) जला बैठते हैं।
जवाब देंहटाएंऔर खबर बाहर विदेश में चली जाती है। अतीत-पकड़ मंत्री श्री भयानक दलदल जी ने कहा है कि अंदर कुछ भी हो, खबर बाहर नहीं जानी चाहिए। यही हमारी संस्कृति भी है और कुछ-कुछ विदेश-नीति भी। उन्होने बात को और खोलते हुए कहा कि दरअसल दामन जलने से मतलब खबर बाहर जाने से ही है।
जवाब देंहटाएंab to UPA kee sarkaar bananee taya hai. behtar hai ki isa vyangya ko pooraa maana kar nayaa vyangya prarambha kiyaa jaay:
जवाब देंहटाएं(1) Sonia manio apana REMOTE kahaan rakhengg. apane paas yaa Raul ke paas?
(2) dubaaraa counting men jeet kar aaye Chdambaram public kee Zeb kaise katarenge.
(3) Kasab aur Afzal ke khaane ka menu kya hoga?
(4) Bahan jee aur Raul bhaiya milengen to kya baate hongee?
(5) Jaya Prada, Amar Singh aur Azam Khan ke Tirkone men Mulayam kona kaun sa hoga?
(6) Lalu ab kise loliyaenge?
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List lambee ho rahi hai. filhal viraam detaa hoon. fir milenge. {Mera Linux system reinstall aur update ho raha hai isliye Devnagari men naheen likh paaya. Kshamaa karen}
ब्लॉग पर कमेन्ट कर उत्साहवर्धन करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंदिशा निर्देशित करते रहें.
सादर
आर्यावर्त
सुना है सभी ‘कुड बी’ पी. एम. इन वेटिंग अत्यंत हताश हैं। हताशा की स्थिति में वे कुछ कर न बैठें, इसलिए सभी दलों ने अपने-अपने यहां एक-एक स्थायी ‘‘पी.एम.इन वेटिंग’’ पद का निर्माण करने की घोषणा की है। लालवानी जी ने गोदमगोदीजी को उपदेश भेजा है कि पूरी सतर्कता और चालाकी के साथ छवि बदलो वरना मेरी तरह मारे जाओगे। सुना है चक्कू जी अब सीस्ता तीतरयार के साथ दंगों पर बनी फिल्में देखेंगे और ज़ार-ज़ार रोएंगे। जिसका कि लाइव टेलिकास्ट किया जाएगा।
जवाब देंहटाएंwww.anubhuti-hindi.org पर पढ़िए संजय ग्रोवर की ग़ज़लें।
जवाब देंहटाएं(http://www.anubhuti-hindi.org/anjuman/s/sanjay_grover/index.htm)
बेचारे लालवाणी जी,
जवाब देंहटाएंहमारे व्यंग्य को पुरा होने से पहले ही खतम कर दिये। सब मूड का सत्यानाश हो गया। अभी बहुत सी टिप्पणियां मन में थी।
खैर,... गिरिजेश राव जी की बात से सहमत हूं, कोई नया विषय दीजिये।
aaj hi aapkaa vyangya padaa, magar aub tak ka pari-drishya palat gayaa, kiyaa kyaa jaaye, vyagya adhoora chhora jaaye, yaa fir nayi sattaa ka jashan dekh kar fir koee turra jora jaaye.
जवाब देंहटाएंRENU.:- KAVYAGAGAN.BLOGSPOT.COM
बज़रिए ईमेल somadri का कहना है:-
जवाब देंहटाएंआपकी मगजमारी तारीफे काबिल है..आपको एक दिन इसके लिए ऑस्कर जरुर मिलेगा, मेरी शुभकामनायें आपके साथ है - som-ras.blogspot.com
बदले हुए परिद्Rश्य पर मैंने एक व्यंग्य लिखा है. आप .मेरे ब्लॊग पर आएं:
जवाब देंहटाएंhttp://girijeshrao.blogspot.com
स्वागत है
Blog par protsahit karne ke liye dhanyavad.
जवाब देंहटाएंaapka vyang samaj ke katu satya ko dikhata
hai .
likhte rahiye .Best of luck.
bhai,
जवाब देंहटाएंab itne logo ne kaafi kuch kah diya hai , mujhe kahne ke liye kuch bach nahi .. phir bhi aapke lekhan ki tareef karunga aur jis tarah se dusare blogger bhai -bahano ne ise poora karne ka prayaas kiya hai , wo bhi sarahneey hai ..
aapko badhai ..
meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad bhare comment ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html
aapka
vijay
Grover ji, Lalwaani to in dinon gusalkhaane men lal-peele ho rahe hain. Ab to aapki manmohini sarkaar hai. Billi ke peeche kutta chhor diya jaayega. Billi ko vaapas lakar muhurt bana liya jaayega.
जवाब देंहटाएंयुवा जी, अगर वो कुत्ता भी अंधविश्वासी निकला तो उसके पीछे क्या छोड़िएगा !? कुत्ते में कोई इंसान से ज़्यादा ‘‘बुद्धि’’ थोड़े ही होती है।
जवाब देंहटाएंaap ko jab jab padha hai kuchh na kuchh naya hi hota hai. badhai.
जवाब देंहटाएंआपका प्रयोग मुझे तो लगता है सफल रहा है। बधाई। इस तरह के प्रयोग जारी रहने चाहिए। प्रयोग जो आपके योग में पहले आया, मेरे योग में आज। पर इसको शुरू करने के पहले प्रवर्तक हुए आप।
जवाब देंहटाएं