लो अब सारी कहानी सामने है
तुम्हारी ही जु़बानी, सामने है
तुम्हारी ही जु़बानी, सामने है
तुम्हारे अश्व खुद निकले हैं टट्टू
अगरचे राजधानी सामने है
अगरचे राजधानी सामने है
गिराए तख़्त, उछले ताज फिर भी
वही ज़िल्ले-सुब्हानी सामने है
वही ज़िल्ले-सुब्हानी सामने है
मेरी उरियानियां भी कम पड़ेंगीं
बशर इक ख़ानदानी सामने है
बशर इक ख़ानदानी सामने है
तेरे माथे पे फिर बलवों के टीके-
बुज़ुर्गों की निशानी सामने है !
बुज़ुर्गों की निशानी सामने है !
अभी जम्हूरियत की उम्र क्या है
समूची ज़िन्दगानी सामने है
समूची ज़िन्दगानी सामने है
-संजय ग्रोवर
(‘द सण्डे पोस्ट’ में प्रकाशित)
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंkhubsurat gazal, mubarak sanjay ji aapki gazal pahli baar padhi hai cartoon to dekhe the , aapka ye hunar kabil-e-tareef hai.
जवाब देंहटाएंSHUKRIYA SWAPN JI.
जवाब देंहटाएंaur....
वेबपत्रिका
www.deshkaal.com
पर पढ़ें संजय ग्रोवर का व्यंग्य
लिंक है:-
http://www.deshkaal.com/Details.aspx?nid=34200924557951
या फिर संजय ग्रोवर या संवादघर को कापी करके गूगल सर्च में पेस्ट करके खोजिए और जानिए सब कुछ।
तेरे माथे पे फिर बलवों के टीके-
जवाब देंहटाएंबुज़ुर्गों की निशानी सामने है !
kya baat hai..
aap likhta to achha hai sath me pic bhi bohat achhi lagaate hai..
जवाब देंहटाएंसंजय जी बेहद अर्थ परक गजल ...हर मतला ...जिन्दगी से रूबरू ...तुम्हारे अश्व खुद निकले हैं टट्टूअगरचे राजधानी सामने है.....बधया बधाई .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदा रचना ...
जवाब देंहटाएंझकास ....मजेदार
जवाब देंहटाएंबिल्कुल संजय जी। आपका ही ब्लॉग है। अनुमति की जरूरत नहीं है।
जवाब देंहटाएंअजी जाओ जी जाओ...साडा खिसयानी बिल्ली ने खम्बा नोच नोच पुट सुट्या ते तुसी हूँ ग़ालिब नु लै के हुन् आये हो ....!!
जवाब देंहटाएंग़ज़ल पदन फेर आवांगी तसल्ली नल ...अजे मूड बडा बिगडा होइअया.....!!
बहुत खूब... दुष्यंत कुमार की याद आ गई..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दोस्त !
जवाब देंहटाएं(Ashok bhai.)
ajee मैंने कहा वाह....वाह...वाह....वाह....वाह....
जवाब देंहटाएंbahut sudar.... hamara bhi salam sweekar karen
जवाब देंहटाएंगिराए तख़्त, उछले ताज फिर भी
जवाब देंहटाएंवही ज़िल्ले-सुब्हानी सामने है
VAAH