ग़ज़ल
ज़ुबां तक बात गर आई नहीं है
कहूं क्या ! उसमें सच्चाई नहीं है
तुम्हारे हंसने पे आता है हंसना
ज़रा भी इसमें गहराई नहीं है
अदाकारी करे जो प्यार में भी
वो चालाकी है अंगड़ाई नहीं है
जो मेरी अक्ल को पत्थर बना दे
कि तुमने वो अदा पाई नहीं है
हैं मेरे पास सब नक्शों के नक्शे
तुम्हे आवाज़ तक आई नहीं है
तेरी आवारगी में भी गणित है
अक़ल ये हमको आज आई नहीं है
तू हिंदू हो या मुस्लिम, मैं ये जानूं
तुझे इंसानियत आई नहीं है
शुकर है कुछ तजुरबे काम आए
वगरना कौन हरजाई नहीं है
-संजय ग्रोवर
ज़ुबां तक बात गर आई नहीं है
कहूं क्या ! उसमें सच्चाई नहीं है
तुम्हारे हंसने पे आता है हंसना
ज़रा भी इसमें गहराई नहीं है
अदाकारी करे जो प्यार में भी
वो चालाकी है अंगड़ाई नहीं है
जो मेरी अक्ल को पत्थर बना दे
कि तुमने वो अदा पाई नहीं है
हैं मेरे पास सब नक्शों के नक्शे
तुम्हे आवाज़ तक आई नहीं है
अक़ल ये हमको आज आई नहीं है
तू हिंदू हो या मुस्लिम, मैं ये जानूं
तुझे इंसानियत आई नहीं है
शुकर है कुछ तजुरबे काम आए
वगरना कौन हरजाई नहीं है
-संजय ग्रोवर
बहुत अच्छा लिखा है आपने। वैसे मेरा एक विचार था कि तुकबंदी में सभी लाइनों में 'नहीं है' शब्द आये हैं। इसे "है नहीं" कर देने से और अच्छा रहता। वैसे ये सिर्फ मेरा विचार है, कोई जरूरी नहीं कि ये सही ही हो।
जवाब देंहटाएंwaah! bahut khoob ghazal likhee hai.
जवाब देंहटाएंतेरी आवारगी में भी गणित है
जवाब देंहटाएंअक़ल ये हमको आज आई नहीं है
aapne sundar likha hai . badhayi
bahut kub
जवाब देंहटाएंसंजय साब , कई वक्त के बाद मुक्कमल हसीन गज़ल पढ़ी है.सभी शेर कमाल के हैं और मस्त कर रहे हैं.कई बार पढ़ चुका और दिल नहीं भरा है .ये दो शेर एक दम नए और पुरअसर ,डुबो गए साहब
जवाब देंहटाएंअदाकारी करे जो प्यार में भी
वो चालाकी है अंगड़ाई नहीं है
शुकर है कुछ तजुरबे काम आए
वगरना कौन हरजाई नहीं है
कुछ ख्याल सा आ रहा है , अर्ज कर रहा हूँ
जरा हंस-मुस्करा कर बोले साहब
फँस गए हम बेचारे भोले साहब
दुनिया का मुझे तजुर्बा नहीं है
तजुर्बे ने मुझे बता दिया है
तू हिंदू हो या मुस्लिम, मैं ये जानूं
जवाब देंहटाएंतुझे इंसानियत आई नहीं है bahut khub ..behtreen likha hai aapne
गजल गैलरी की यह गजल बहुत शानदार है!
जवाब देंहटाएंबेहतर...
जवाब देंहटाएंतुम्हारे हंसने पे आता है हंसना
जवाब देंहटाएंज़रा भी इसमें गहराई नहीं है
...........
लाजवाब !!!
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंअँगड़ाई की अदाकारी हमें ख़ूब जमी। ग़ज़ल पूरी अच्छी है।
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शब्द
जवाब देंहटाएंनदीम अख्तर जी ने सही लिखा
umda ,bandhi hui mukammal ghazal.
जवाब देंहटाएंManana hi padega aapki bhavpravanta aur samvedanaparak drishti ko.
Badhai ,ek khoobsoorat rachna ke liye.
sasneh,
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
achha laga ji.........bahut khoob!
जवाब देंहटाएंउम्दा गजल ,बधाई
जवाब देंहटाएंतू हिंदू हो या मुस्लिम, मैं ये जानूं
जवाब देंहटाएंतुझे इंसानियत आई नहीं है
बहुत अच्छा। हम सब बन जाते हैं, इंसान ही नहीं बनते।
अंक-8: स्वरोदय विज्ञान का, “मनोज” पर, परशुराम राय की प्रस्तुति पढिए!
acchin ghazal hui he. mubarak ho.
जवाब देंहटाएंसच कहूँ तो आपकी ग़ज़लें पढने के बाद आपके कलम को चूमने को दिल करता है ...लेकिन लेकिन....एक दिक्कत है ....क्या है की मुझे पता लगा है की ये बैगेर keypaed के संभव नहीं है.. सो मजबूर हूँ सर...बाकी आपकी ग़ज़ल हर आवक सी कर जाती है...एक गहरा सन्नाटा छोड़ते हुए ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शब्द, उम्दा गजल
जवाब देंहटाएंअदाकारी करे जो प्यार में भी
जवाब देंहटाएंवो चालाकी है अंगड़ाई नहीं है
-वाह! क्या बात है.
bahut achche sabdon ka uchit sthan per uchit prayog kiya hai badhai sweekaren.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल ..हर शेर लाजवाब
जवाब देंहटाएंकई बार मेल से आपका लिंक मिला.. कभी इस बहाने, कभी उस बहाने छूत गया यहाँ आना.. आज सोचा क्लिक करता हूँ और क्लिक करते ही घंटी बजी दिलो दिमाग़ में.. सारे सारे शेर बेहतर, किसे कोट करूँ...
जवाब देंहटाएंgood one!
जवाब देंहटाएंGood One
जवाब देंहटाएंvery well sanjay ji nice gajal first time i read your gazal i m your fan
जवाब देंहटाएंचुटीली गज़ल
जवाब देंहटाएंसंजय, ये खूब रही:-
जवाब देंहटाएंशुकर है कुछ तजुरबे काम आए
वगरना कौन हरजाई नहीं है
हर शेर शानदार...
जवाब देंहटाएंसुन्दर ग़ज़ल !!!!
गजल बहुत शानदार है!
जवाब देंहटाएंyour ghazal is good.congrats.
जवाब देंहटाएंplease join my blog dil ki baat
for ghazals please click here http://ntushar.blogspot.com