गज़ल
हाथ आई हयात कुछ भी नहीं
बात यूं है कि बात कुछ भी नहीं
11-01-2013
यू तो मेरी औक़ात कुछ भी नहीं
काट लूं दिन तो रात कुछ भी नहीं
29-10-2018
मुझको, सच में, बयान कर न सके
वो तेरे इल्ज़ामात कुछ भी नहीं
12-09-2018
मुझसे दिनवाले लुटेरों ने कहा
अपने आगे बारात कुछ भी नहीं
झूठ बोलूंगा, ख़ुदसे हारुंगा
सच कहूंगा तो मात कुछ भी नहीं
12-09-2018
-संजय ग्रोवर
29-10-2018
हाथ आई हयात कुछ भी नहीं
बात यूं है कि बात कुछ भी नहीं
11-01-2013
यू तो मेरी औक़ात कुछ भी नहीं
काट लूं दिन तो रात कुछ भी नहीं
29-10-2018
मुझको, सच में, बयान कर न सके
वो तेरे इल्ज़ामात कुछ भी नहीं
12-09-2018
मुझसे दिनवाले लुटेरों ने कहा
अपने आगे बारात कुछ भी नहीं
झूठ बोलूंगा, ख़ुदसे हारुंगा
सच कहूंगा तो मात कुछ भी नहीं
12-09-2018
-संजय ग्रोवर
29-10-2018