ग़ज़ल
मैं से हम होते जाओ
लूटो, मिलजुलकर खाओ
सुबह को उठ-उठकर जाओ
शाम को चुप-चुप लौट आओ
गगन पे गुंडों का क़ब्ज़ा
तुम भी जाकर छा जाओ
ये वो थे और वो ये हैं
बुरा ढूंढकर दिखलाओ
ऊंचेपन के चक्कर में
टुच्चेपन से भर जाओ
मोहरे हैं और कठपुतली
जाओ जाकर चुन लाओ
कमज़ोरों की राह यही
बुरे को अच्छा बतलाओ
बदनामी से बचना है
नाम करो, चुप हो जाओ
आखि़र ज़िंदा दिखना है-
पहले दिन से मर जाओ
मातम भी तो मज़ाक़ है
आओ, थोड़ा हंस जाओ
बड़ा आदमी बनना है-
नहाओ, धोओ, सो जाओ
-संजय ग्रोवर
11-01-2017
मैं से हम होते जाओ
लूटो, मिलजुलकर खाओ
सुबह को उठ-उठकर जाओ
शाम को चुप-चुप लौट आओ
गगन पे गुंडों का क़ब्ज़ा
तुम भी जाकर छा जाओ
ये वो थे और वो ये हैं
बुरा ढूंढकर दिखलाओ
ऊंचेपन के चक्कर में
टुच्चेपन से भर जाओ
मोहरे हैं और कठपुतली
जाओ जाकर चुन लाओ
कमज़ोरों की राह यही
बुरे को अच्छा बतलाओ
बदनामी से बचना है
नाम करो, चुप हो जाओ
आखि़र ज़िंदा दिखना है-
पहले दिन से मर जाओ
मातम भी तो मज़ाक़ है
आओ, थोड़ा हंस जाओ
बड़ा आदमी बनना है-
नहाओ, धोओ, सो जाओ
-संजय ग्रोवर
11-01-2017