स्थान: फ़ेसबुक
समय: कुछ घण्टे पहले
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Uday Prakash :
'जो यथार्थ को व्यक्त करता है,
वह मार दिया जाता है अफ़वाहों से !'
Sanjay Grover :
अफ़वाहें अमर हैं
गुट-विरोधी गुंडों का गुट
उनकी लटें सुलझाकर
चोटी गूंथ रहा है
साहित्यिक सरगनाओं की
गणित-निपुण आवारगी
उनकी रक्षा में तैनात है
उन्हें किसका डर है
वे कलात्मक हैं,अमूर्त्त हैं,
हुनर हैं
अफवाहें अमर हैं
धक्के खाती
घर को लुटाती
सच्चाई तस्लीम न होने दी गई
अफ़वाहों के भारी विरोध के चलते
अब
मौज-मजे की बारी आयी है
अफ़वाहों का पहला नंबर है
अफवाहें अमर हैं
(अभी-अभी लिखा गया....बाक़ी पूरा होने पर....)
-संजय ग्रोवर
No east or west,mumbaikar or bihaari, hindu/muslim/sikh/christian /dalit/brahmin… for me.. what I believe in logic, rationality and humanity...own whatever the good, the logical, the rational and the human here and leave the rest.
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गुट-विरोधी गुंडों का गुट
जवाब देंहटाएंउनकी लटें सुलझाकर
चोटी गूंथ रहा है
वाह!
अद्भुत! इतना सुंदर बिम्बों का प्रयोग .. झट से आकर्षित करता है। ज़ल्द से पूरा कर पूरा सुनाएं।
देसिल बयना-खाने को लाई नहीं, मुँह पोछने को मिठाई!, “मनोज” पर, ... रोचक, मज़ेदार,...!
'जो यथार्थ को व्यक्त करता है,
जवाब देंहटाएंवह मार दिया जाता है अफ़वाहों से !'
उन्हें किसका डर है
क्या बात है और आपने भी क्या खूब लिखा है
गुट-विरोधी गुंडों का गुट
उनकी लटें सुलझाकर
चोटी गूंथ रहा है
वे कलात्मक हैं,अमूर्त्त हैं,
हुनर हैं
अफवाहें अमर हैं
बाकि तो साब पूरी लिखंगे तो हमें भी पूरा मज़ा आयेगा
विम्बो में कही गयी बात अच्छी लगी... शीर्षक स्वयं विम्ब में है...
जवाब देंहटाएंबढ़िया..पूरा होने का इन्तजार करें कि वो भी अफवाह? :)
जवाब देंहटाएं@Udan Tashtari
जवाब देंहटाएं;-)
अफवाहें अमर हैं, अमर हैं, अमर हैं!!!!!!!
जवाब देंहटाएंसंजय भाई कटु सत्य है अफवाहें अजर अमर हैं और अमुल्य भी लेकिन लगता है मुझे अखबार में विज्ञापन दे कर अपना नाम बदलना होगा...
जवाब देंहटाएंbehtrin..............afwahen hi afwahen hain....
जवाब देंहटाएंआप जो भी कहते हें सच कहतें हें
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की ई-मेल सदस्यता ले रखी है,
किन्तु वहाँ पोस्ट की बजाय केवल शीर्षक आता है,
ऍप्रूवल आभिजात्य से मुझे हमेशा से अरुचि रही है ।
अतएव यहाँ आकर पोस्ट पढ़ना कम ही हो पाता है,
ईश्वर आपका रुतबा बरकरार रखे । आता रहूँगा, बस इतना ही !
आप की रचना 10 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
Bahut badhiya sanjay ji rachna ke poore hone ki pratiksha hai !
जवाब देंहटाएंअफवाहें अमर हैं ..बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंमित्रों, कविता पूर्णता की ओर अग्रसर है। मगर पोस्ट की ऐडीटिंग में एक समस्या आ रही है। ज़रा-सा छेड़ते ही सारे शब्द इकट्ठा होकर एक ही पैराग्राफ़ में तब्दील हो जाते हैं। क्या कोई इसका इलाज बता सकता है ! वरना पूरी कविता एक नयी पोस्ट में डालनी पड़ेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी। कटु सत्य कहने का अंदाज अच्छा लगा। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ.............. गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उत्तम रचना संजय जी बधाई स्वीकार करें साथ ही आपको गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं.......
जवाब देंहटाएंwow
जवाब देंहटाएंsahi kaha... afwaahen amar hai. aur is amratwa ko hum hin pradan kar sach ka gala ghont dete, aankh mund uski raksha mein khade ho jaate, chaahe baat kitni bhi ataarkik kyon na ho. bahut achhi rachna, shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंMehengai ka dour hai
जवाब देंहटाएंcharon taraf shor hai
saptahik ankade kahate hein
mehengai per control hai
janta janti hai kahan kasar hai
afwahen amar hai
Na ghar na darr. isi liye hain afvahen amar
जवाब देंहटाएंगुट-विरोधी गुंडों का गुट
जवाब देंहटाएंउनकी लटें सुलझाकर
चोटी गूंथ रहा है
वाह!
dhanya hai wo soch.......jo kavita ko dil ke karib lata hai.....:)
bahut khub haujur
जवाब देंहटाएं