सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

‘‘कार्टूनखाना’’ में आज स्कर्टस् !


(**मेरे ब्लॉग पर मेरा पहला कार्टून,
**ठीक से देखना हो तो पिक्चर पर क्लिक करो-)

15 टिप्‍पणियां:

  1. आज जो भी कमेंटस् मिलेंगे, आॅस्कर समझ कर ग्रहण करुंगा। ये खुश आंखें आज उतनी ही नम हैं जितनी विजयी ओबामा को पहला भाषण देते हुए देखते समय नम थीं।

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  2. बच्‍चे ही सच बोलने की हिम्‍मत कर पाते हैं।

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  3. kartoon picture clear nahin hai. sanjay ji ka hai hoga to badhia hi. dhanyawaad

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  4. SWAPN bhai picture par ek click karenge to sab clear ho jaayega. Zara kariye to.

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  5. yes click kiya aur mere saamne aya ek sunder cartoon , bahut achcha. badhai. aur dhanyawaad.

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  6. इस कार्टून का मतलब भी समझा देते हैं। सभी लोग कलाकार थोडे ही होते हैं जो कार्टूनों की भाषा समझ लें।

    From:
    http://adbusinesshindi.blogspot.com

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  7. sanjeev hamen apne blog par aapka chitra achcha lagta tha hata kyon liya.

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  8. बहुत सुंदर.....अच्‍छा लगा, बहुत सुंदर !!
    शुभकामनाएं........ढेरो बधाई कुबूल करें....

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  9. यह हादसा सिर्फ आपके साथ नहीं हुआ स्वप्न भाई, कल रात कई लोगों के कई-कई फाॅलोअरस् गायब हो गए। मेरे भी 26 से 18 रह गए। बताते हैं ब्लाॅगर की किसी तकनीकी खामी के चलते ऐसा हुआ है।

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  10. आपने ने पुरानी फिल्म वक्त का वो राजकुमाराना डायलाग सुना है कि ‘‘शीशे के घरों में बैठे हुए लोग दूसरों पर पत्थर नहीं मारा करते।’’ कुछ यही भाव यहां भी है अंजलि जी कि जिनकी अपनी निक्करें अपनी सम्पूर्ण टांगों को ढंकने में असमर्थ हों उन्हें दूसरों की स्कर्टस् पर एतराज नहीं उठाने चाहिए।

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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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