ग़ज़ल
वो समझाने आ जाएंगे
जी को जलाने आ जाएंगे
जी को जलाने आ जाएंगे
गर यूँ ही बेहोश रहे तो
होश ठिकाने आ जाएंगे
होश ठिकाने आ जाएंगे
बात तुम्हारी जब बिगड़ी, वो
बात बनाने आ जाएंगे
बात बनाने आ जाएंगे
दिया जलाने की कह कर वो
आग लगाने आ जाएंगे
आग लगाने आ जाएंगे
नए दोस्त जब-जब आएंगे
दर्द पुराने आ जाएंगे
दर्द पुराने आ जाएंगे
प्यार पुराना जागेगा तो
नए ज़माने आ जाएंगे
नए ज़माने आ जाएंगे
मय को बुरा कहेंगे वाइज़
ज़हर पिलाने आ जाएंेगे
ज़हर पिलाने आ जाएंेगे
-संजय ग्रोवर
'मय को बुरा कहेंगे वाइज़
जवाब देंहटाएंज़हर पिलाने आ जाएंेगे'
-प्रेम और भाईचारे की मय के बदले कट्टरता का जहर पिला दिया जायेगा.
वो समझाने आ जाएंगे
जवाब देंहटाएंजी को जलाने आ जाएंगे
गर यूँ ही बेहोश रहे तो
होश ठिकाने आ जाएंगे
बात तुम्हारी जब बिगड़ी, वो
बात बनाने आ जाएंगे
बहुत सुंदर भाव है .....दिल को छुने वाले
बहुत बढिया गज़ल है।....सुन्दर भाव हैं।
जवाब देंहटाएंशानदार गजल। बधाई
जवाब देंहटाएंबेहोशी में पड़े रहे तो,
जवाब देंहटाएंइक दिन प्राण निकल जायेंगे।
प्रीत-प्रेम की मदहोशी में,
इक दिन प्याले टकरायेंगे।।
भाई संजय जी
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत ग़ज़ल पढ़वाने के लिये आभार
मय को बुरा कहेंगे वाइज़
ज़हर पिलाने आ जाएंगे
गर यूँ ही बेहोश रहे तो
होश ठिकाने आ जाएंगे
बात तुम्हारी जब बिगड़ी, वो
बात बनाने आ जाएंगे
वाह गुरु वाह
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Waah ! Sundar gazal.
जवाब देंहटाएंनए दोस्त जब आये तो
जवाब देंहटाएंगम पुराने आयेंगे...
वाह! बढ़िया लिखा है जी
bahut aacha likha haa........
जवाब देंहटाएंkeep it up