ग़ज़ल
बह गया मैं भावनाओं में कोई ऐसा मिला
फ़िर महक आई हवाओं में कोई ऐसा मिला
फ़िर महक आई हवाओं में कोई ऐसा मिला
खो के पाना पा के खोना खेल जैसा हो गया
लुत्फ़ जीने की सज़ाओं में कोई ऐसा मिला
लुत्फ़ जीने की सज़ाओं में कोई ऐसा मिला
खो गए थे मेरे जो वो सारे सुर वापिस मिले
एक सुर उसकी सदाओं में कोई ऐसा मिला
एक सुर उसकी सदाओं में कोई ऐसा मिला
हमको बीमारी भली लगने लगी, ऐसा भी था
दर्द मीठा-सा, दवाओं में कोई ऐसा मिला
दर्द मीठा-सा, दवाओं में कोई ऐसा मिला
रेत में भी बीज बो देने का मन होने लगा
मेघ आशा का घटाओं में कोई ऐसा मिला
मेघ आशा का घटाओं में कोई ऐसा मिला
-संजय ग्रोवर
चलो आज फिर मन बाग़-बाग़ हो गया....आज फिर हमें कोई ग़ज़ल-ख्वाहं मिला....!!
जवाब देंहटाएंहमने उसकी हर नज़र उतार दी अगर ...कोई भी जो रस्ते में हमें गता हुआ मिला...!!
bohut sunder......हमको बीमारी भली लगने लगी, ऐसा भी था
जवाब देंहटाएंदर्द मीठा-सा, दवाओं में कोई ऐसा मिला....
खो के पाना पा के खोना खेल जैसा हो गया
जवाब देंहटाएंलुत्फ़ जीने की सज़ाओं में कोई ऐसा मिला
अच्छी गजल संजय जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
पढ़ने वाले भर गए थे, फूल के एहसास से |
जवाब देंहटाएंप्यार में खोकर लिखी है, ये ग़ज़ल ऐसा लगा |
रेत में भी बीज बो देने का मन होने लगा
जवाब देंहटाएंमेघ आशा का घटाओं में कोई ऐसा मिला
क्या बात है. आपकी गज़लें सचमुच बहुत सुन्दर होतीं हैं.
वाह..वाह.. ग्रोवर जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब गज़ल लिखी है।
बधाई।
बहुत खूब अंदाज है रेत में भी बीज बो देने का मन होने लगा...
जवाब देंहटाएंफ़िर महक आई हवाओं में कोई ऐसा मिला...आपका अन्दाजें बयां कुछ और है ...भाव एक शिखर पर ले जातें हें जहाँ से लौटने का मतलब एक लाचारी और यंत्रणा से गुजरना होता है ....आपको हंस में हमेशा ही पढ़ती रही हूँ ...कुछ गजलों का प्रकाशन भी किया था
जवाब देंहटाएंmegh asha ka ghatao me koi aisa mila.......
जवाब देंहटाएंwah!grover sahab kitna narm ahasas hai in shabdo me........badhai swikare
"खो के पाना पा के खोना खेल जैसा हो गया,
जवाब देंहटाएंलुत्फ़ जीने की सज़ाओं में कोई ऐसा मिला|
खो गए थे मेरे जो वो सारे सुर वापिस मिले,
एक सुर उसकी सदाओं में कोई ऐसा मिला|"
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं...बहुत बहुत बधाई...