1. कुछ देशों को गालियां बकना।
2। कुछ कौमों/सम्प्रदायों को गालियां बकना।
3। गीत गाना।
4। झण्डा फहराना।
5। पूजा-पाठ करना।
6. अपने देश के लोगों से ऊंच-नीच करना।
7। अपना काम ईमानदारी से करना।
No east or west,mumbaikar or bihaari, hindu/muslim/sikh/christian /dalit/brahmin… for me.. what I believe in logic, rationality and humanity...own whatever the good, the logical, the rational and the human here and leave the rest.
उपरोक्त सभी ! क्योंकि गालिया भी वह बकता है जो कही दिल के कोने में देश का दर्द महसूस करता है ! स्वार्थी को तो सिर्फ अपने पथ की चिंता होती है
जवाब देंहटाएंजब आप कहते हैं कि उक्त में से सभी तो उसमें ‘अपने देश के लोगों से ऊंच-नीच करना’ भी आ जाता है। इसके अलावा ‘गीत गाना’ वगैरह प्रतीकात्मक उपाय हैं। जबकि ‘ईमानदारी से काम करना’ आज का सर्वाधिक मुश्किल रास्ता है पर मुझे यही सबसे कारगर रास्ता लगता है। इसके बिना आप न तो मेट्रो के पुल में दरारें पड़ने को रोक सकते हैं, न अपने घर में ज़हरीले पानी के आने को, न आतंकवाद को। पर यह इतना मुश्किल रास्ता है कि आपको अपनी प्रतिष्ठा, परिवार, संबंध, आजीविका आदि सब कुछ दांव पर लगाना पड़ता है। इसलिए स्वार्थी व्यक्ति प्रतीकात्मक रास्तों को चुनता है जिसमें ‘इनवेस्टमेंट‘ बहुत कम और ‘रिटर्न’ अच्छा-खासा होता है।
जवाब देंहटाएंइस समय तो यह सभी । अब देश की संवेदना और भावना की तरक्की हो तो बात अलग है ।
जवाब देंहटाएंbahut khub sanjay ji ...nayaab blog hai
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