No east or west,mumbaikar or bihaari, hindu/muslim/sikh/christian /dalit/brahmin… for me.. what I believe in logic, rationality and humanity...own whatever the good, the logical, the rational and the human here and leave the rest.
शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009
अंधेरों का कोरस यानि कि एक लीचड़ पैरोडी यानिकि डों‘ट टेक सीरियसली......
यारों सब धुंआं करो
मिलकर धुआं करो
बचे-ख़ुचे पर्यावरण को
धकेलो, दफ़ा करो
यारों सब धुंआं करो......
लोगों को दमा करो
चाहे अस्थमा करो
कानों को फ़ाड़ो बम से
अमन प दावा करो
यारों सब धुंआं करो....
पार्क को तबाह करो
तिसपे वाह-वाह करो
रोशनी को आग़ में डालो
नाचो, स्वाह-स्वाह करो
यारों सब धुंआं करो....
ओज़ोन पे आह करो
मौजों पे वाह करो
शांति को तलाक दे दो
शोर से निकाह करो
यारों सब धुंआं करो....
मिठाई जमा करो
ठूंसो-ठांसो, ठां करो
सुबह फ़िर हवा करो
और फ़िर दवा करो
यारों सब धुंआं करो....
(बतर्ज़: यारों सब दुआ करो....)
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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........
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प्रेरक पंक्तियां हैं. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही लिखा है. माआजा अ गया पढ़कर. जरुरत है आज के युवा इसे पढें और सिख लें.....
जवाब देंहटाएंलोगों को दमा करो
जवाब देंहटाएंचाहे अस्थमा करो
कानों को फ़ाड़ो बम से
अमन प दावा करो
यारों सब धुंआं करो....
बहुत खूब ... क्या बात है
दीपावली पर्व का बहुत अच्छा खाका खींचा है
बस गुरुदेव कुछ कमी सी है
'तीन पत्ती' या 'कट पत्ती' के साथ मदिरा की भी
झलक होती तो रौशनी का पर्व कम्प्लीट हो जाता
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
jandaar vyangya, diwali ki shubhkaamnayen.
जवाब देंहटाएंहर फिक्र को धुएं में उड़ाने की अदा....समय पर चोट करती कविता...बधाई!
जवाब देंहटाएंसब धुंआ ही किये जा रहे हैं लोग!!
जवाब देंहटाएंसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
बहुत बढिया पैरोडी की है । यही तो हो रहा है ।
जवाब देंहटाएंसब धुआं करो ।
अब असली कविता भी पढने को मन करता है ।
हमारी तरफ़ से बिना धुआं की शुभकामनायें !
दीपावली में आपके दीपों की पंक्तिया
जवाब देंहटाएंखूब जगमगाए ..बुराइयों को नष्ट करे ,
अज्ञान के अँधेरे दूर करे !
दीपावली की असंख्य शुभ कामनाये !!!
लोगों को दमा करो
जवाब देंहटाएंचाहे अस्थमा करो
कानों को फ़ाड़ो बम से
अमन प दावा करो
हमारी तरफ़ से बिना धुआं की शुभकामनायें !
बात आपने ठीक ही लिखी है, प्रकाश भाई पर यह पैरोडी मैंने कोई बहुत गंभीर मूड में नहीं लिखी। ‘तीन पत्ती’ या ‘कट पत्ती’ तो ठीक है पर मदिरा शायद इस त्यौहार पर सीधे-सीधे अलाउ नहीं है जैसे होली पर है। वो बात अलग कि है कि अपने यहां परंपरा के हाथीदांत-प्रबंधन में ‘घुसघुसाकर’-छुपछुपाकर’ सब कुछ अलाउ रहता है। व्यवहार में तो ‘दरी के नीचे’ वाली परंपरा ही मान्य और कामयाब है, आपको भी पता है और मुझे भी।
जवाब देंहटाएंआप आते हैं तो अच्छा लगता है।
"...ठूंसो-ठांसो, ठां करो
जवाब देंहटाएंसुबह फ़िर हवा करो
और फ़िर दवा करो
..."
क्या बात है. जबरदस्त.
वाह बहुत सही. मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंदीपावली की शुभकामनायें.
यह दिया है ज्ञान का, जलता रहेगा।
जवाब देंहटाएंयुग सदा विज्ञान का, चलता रहेगा।।
रोशनी से इस धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
दीप-उत्सव पर शुभ-कामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha.........diwali ki shubhkamnayein
जवाब देंहटाएंvyang badiya hai......diwali mubarak
जवाब देंहटाएंshaandar vyang ,laazwaab .diwali ki haardik shubhkaamnaaye .
जवाब देंहटाएंइस दिवाली में बहुत करार व्यंग लिखा है ...... पर सच लिखा है ........ मुझे तो लगता है इस बात को सीरियसली लेना चाहिए
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दिवाली की शुभकामनाएं ........
Diwali ki shubhkamnaayein ho!!!
जवाब देंहटाएंDevi nangrani
शुभकामनाओं सहित
जवाब देंहटाएंदेवी नांगरानी
Jai ho........
जवाब देंहटाएंbhai sahab hum aap mil ke dua kare kee yee sab ab kabhi na dhua kare.umda hai
जवाब देंहटाएंwww.jungkalamki.blogspot.com
vivek mishra
wakayi kuchh dhuaan dhuaan sa ho gaya....achchha katksh hai.....badhai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पैरोडी है. बधाई.
जवाब देंहटाएंसाथ ही दीप पर्व की अनेक शुभकामनाएं ..
Ati sundar...
जवाब देंहटाएंकोई पुकार रहा था खुली फ़िज़ाओं से
नज़र उठाई तो चारो तरफ़ हिसार मिला
ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई
जो आदमी भी मिला बनके इश्तहार मिला
kaash ki koi in panktiyon ko seriously le...
जवाब देंहटाएंaapka salaam mila mujhe. laga anek salaamo me se ek salam yah bhi hae kintu jab aapka blog dekha aur aapka lekhan padha to pata chala ki vo salam jo aapne bheja tha vo ek payam tha mere liye. mujhe mahsoos ho raha hai ki blog ki is mahanadi me mai abhi ek boond bhi nahi . kripya mera margdarshan karte rahe .aapki kavita "yaaron sab dhuaan karo vyangya ki parakastha hai. paryavaran par isse achha, sateek aur asardaar kavita maine aaj tak nahi padhi thi. yaad rakhiye duniya ki mahantam rachnaaen halke mood me hi likhi gayee thi. bhartendu ko andher nagari likhne me sirf ek raat ka samay laga tha.
जवाब देंहटाएंSanjay bhai kavita bahut achhi ban padi hai badhaayi sweekaar karein...
जवाब देंहटाएं