लघुकथा
चालू
उन्होंने जाल फेंका।
शिकार किसी तरह बच निकला।
यूं समझिए कि ख़ाकसार किसी तरह बच निकला।
भन्ना गए। सर पर दोहत्थड़ मारकर बोले, ‘‘तुम तो कहते थे भोला है। देखो तो सही साला कितना चालू आदमी है।’’
-संजय ग्रोवर
No east or west,mumbaikar or bihaari, hindu/muslim/sikh/christian /dalit/brahmin… for me.. what I believe in logic, rationality and humanity...own whatever the good, the logical, the rational and the human here and leave the rest.
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पढ़ कर बेसाख्ता हँसी आ गई।
जवाब देंहटाएंमारक लघुकथा है।
जवाब देंहटाएंjo bacha wo chalu aur jo phans gaya wo bevakoof...dono hi suraton mein jeet apni aur hum sahi
जवाब देंहटाएंबहुत ही असरदार। लंबे समय तक याद रहने वाली चंद रचनाओं में से एक। इस आगे कहीं कोट करूंगा। आपकी इजाजत से। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत चालू है - जाल में नहीं फंसा.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
भन्ना गए। सर पर दोहत्थड़ मारकर बोले, ‘‘तुम तो कहते थे भोला है। देखो तो सही साला कितना चालू आदमी है।’’ ............
जवाब देंहटाएंआप इतने चालू हैं...........मान गए सर.....
shandar prejentation
जवाब देंहटाएंthanx
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
जवाब देंहटाएं$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
जनतंत्र
पर
रुश्दी डरपोक, हुसेन कट्टरपंथी हैं, मेरा नाम उनसे मत जोड़ें
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
रविवार.काम
पर
मैला ढोने वाली औरतें
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
तहलका
पर
तहज़ीब की पाठशाला
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
मनोज बाजपेयी ब्लॉग
पर
घातक है संकीर्ण राजनीति का विष
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
कस्बा
पर
कब कटेगी चौरासी- कब पढ़ेंगे आप
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
जो चाकू से बच निकले वह चाकू ही होता है !
जवाब देंहटाएंkya baat hai ..kam shabdo em badi bat
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंBADHYA HAI BHAII
जवाब देंहटाएंगजब।
जवाब देंहटाएंkam shabdo me badi bat,
जवाब देंहटाएंbahut hi umda
ये सारा जग ऐसा ही है। खुद को छोड़कर सभी चालू दिखते हैं।
जवाब देंहटाएंye katha hai ya kisi ke upar vyangya..jo bhi hai majedar hai
जवाब देंहटाएंjabardast......
जवाब देंहटाएंthanks
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई। संजय जी आपका प्रयास बहुत बेहतर है।
जवाब देंहटाएं-संजय द्विवेदी, भोपाल
Bahut khoob sanjay ji
जवाब देंहटाएंkam shabdo main adhiktam kaha
ashok
(Asshok Jamnani via email)
प्रभावशाली...सीधी चोट...
जवाब देंहटाएंकथा लघु भले ही हो मगर असर दीर्घ काल तक करने वाली है।
जवाब देंहटाएंWWWWAAAHHHH.......
जवाब देंहटाएंLaghu but strong. kahani kafi kuchh kahti ha. thax
जवाब देंहटाएंPRAMOD RAI
(via email)
Hello Mama
जवाब देंहटाएंThis was too good… Itne kam words me itni badi baat… Remarkable creation.
Ashu
ABHISHEK SACHDEVA
(via email)
क्या खूब ! छोटी पर मारक !
जवाब देंहटाएंआभार ।
Bahut khub sanjay G.
जवाब देंहटाएंApne to kamal kar dia.
Achha hai--Bildaron ki dunia me kahi koi GHAR waah
SANVADGHAR hi sahi- Ghar to hai-
Ate rahenge apke Ghar Inshaallaah
with Mubarakbaad
zulaikha jabeen
(via email)
मित्रो, एक दिलचस्प दीर्घकथा जो इस लघुकथा के साथ चली। मेरे जैसे लोगों के लिए यह दीर्घ ही रहती है। आपकी टिप्पणियों और प्रोत्साहन की वजह से आज मुझे दिलचस्प लग रही है, वरना अकसर दुखद ही लगती रही। कभी-कभी हास्यास्पद भी। यह लघु कथा 21-12-2006 को लिखी गयी। मेरे पसंदीदा दो ‘बड़े’ संपादकों जिन्हें मैं बहुत लोकतांत्रिक मानता रहा हूं,, ने इसे लौटा दिया था। मायूस और कन्फ्यूज़ हो गया था। अभी हाल में ख़्याल आया कि क्यों न इसे ब्लाग पर डालकर देखूं ! देखा। और....
जवाब देंहटाएंsanjay ji,
जवाब देंहटाएंaapki ye rachna aaj ke samaaj ke sach ko bayaan kar rahi hai, jaal mein koi fas gaya to bholapan hai, khud ko bacha liya to chaalu hai...bahut khub likha hai aapne. badhai sweekaren.
अच्छा व्यंग्य है।
जवाब देंहटाएं