मंगलवार, 27 अक्तूबर 2009

कुंठा तू न गयी किसी मन से.......


कार्टून ठीक से न दिखता हो तो उसपर चूहे की चोंच से चिकोटी काटें-

19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर है।
    आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  2. संजय जी आनन्द आ गया ये वाद पुराण काफी मजेदार लगा ...बधायी स्वीकार करें

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  3. कुन्ठासुरओं को कुन्ठाधारियों ने पछाड दिया । जैसे चींटियां सांप को परेशान कर देती हैं ।

    दोनों कुन्ठाबाद या कुन्ठाजगत में पाये जाते हैं ।

    ग्रेट सूझ !

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  4. sanjay जी .......
    बहुत अच्छा लगा ......... सही व्यंग है

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  5. आदरणीय,
    सही निशाना साधा है,शिकार घायल होना चाहिए!!!!!!!!बधाई!

    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    www.vyangya.blog.co.in

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  6. आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। कार्टून ऐसा होना चाहिए, जिसे समझने या समझाने के लिए कम से कम शब्दों की जरूरत पड़े। बुरा न मानियेगा, लेकिन मैं समझता हूं कि आप बहुत अच्छा कर सकते हैं। अभी आपका रेखांकन काफी अपरिपक्व किस्म का लगा।

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  7. करुंगा भाई साब, बहुत मेहनत करुंगा। बस आप जांचना मत छोड़िएगा।

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  8. गिरिजेश राव जी ने निम्न पंक्तिया भेजी तो मुझे बज़रिए ईमेल हैं पर मुझे सार्थक और आनंद दायी लगीं सो उनसे अनुमति लेकर कमेंट्स् में लगा रहा हूं:-


    बौत अच्छा। अब कुण्ठा की समाजशास्त्रीय, मनोवैज्ञानिक, राजनैतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, वामपंथी, दक्षिणपंथी, ब्लॉगवादी, नारीवादी . . वगैरा वगैरा. व्याख्यामाला शुरू कर दीजिए। इतने से काम नहीं चलेगा।
    _____________________________________
    बहुत दिन बाद याद किए। कहीं हमें भी तो किसी कटेगरी में नहीं डाल दिए ? ;)

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  9. aap ko is kartoon par badhai.kuntha ko aap ne samajonmukhi banane ka prayas kiya hai.

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  10. वाह बहुत ही बढ़िया कार्टून बनाया आपने! बहुत खूब!

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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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