ग़ज़ल
दफ़्न बेहूदे ख़्वाब कर डाले
कुछ पुराने हिसाब कर डाले
एक मंज़िल तो तुमने पाई मगर
कितने रस्ते ख़राब कर डाले !
उसकी तस्वीर ज़रा धुंधली सही
सारे आंसू शराब कर डाले
रोने वाले बुरे न थे, तुमने
हंसते-हंसते ख़राब कर डाले
झूठ में सच को हमने यूं पाया-
सारे रिश्ते नक़ाब कर डाले
हर तरफ़ हाथ मारकर तुमने
आईने सब ख़राब कर डाले
-संजय ग्रोवर
28-09-2013
दफ़्न बेहूदे ख़्वाब कर डाले
कुछ पुराने हिसाब कर डाले
एक मंज़िल तो तुमने पाई मगर
कितने रस्ते ख़राब कर डाले !
उसकी तस्वीर ज़रा धुंधली सही
सारे आंसू शराब कर डाले
रोने वाले बुरे न थे, तुमने
हंसते-हंसते ख़राब कर डाले
झूठ में सच को हमने यूं पाया-
सारे रिश्ते नक़ाब कर डाले
हर तरफ़ हाथ मारकर तुमने
आईने सब ख़राब कर डाले
-संजय ग्रोवर
28-09-2013
mene apki ye gajal meri facebook wall par post ki hai
जवाब देंहटाएंझूठ में सच को हमने यूं पाया-
जवाब देंहटाएंसारे रिश्ते नक़ाब कर डाले
बढ़िया रचना
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंkhoobsurat...
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