मंगलवार, 15 जनवरी 2013

सुरक्षा की हद



‘सरगुरु, आजकल महिलाएं बहुत संकट में हैं.....’
‘इन्हें ढंककर रखना चाहिए, सर से पांव तक....मैंने पहले भी कहा.....’
‘मगर सरगुरु....इसके बावजूद भी तो सब होता ही है....’
‘अकेले बाहर नहीं भेजना चाहिए.....कोई आई, भाई, माई, झाई, दाई...साथ होना चाहिए....’
‘पर केस तो तब भी होते हैं......’
‘दरअसल घर से बाहर नहीं निकलने देना चाहिए.....वही है मुसीबत की जड़...’
‘पर घर में भी हम लोग......मेरा मतलब है लोग बाज़ नहीं आते....’
‘देखो हमारी नयी तकनीक से कोई दुश्मनी तो है नहीं.....कुछ लॉकर टाइप बनाकर उसमें औरतों को रखा जा सकता है, चाबियां दो-तीन हों जो घर के दो-तीन बुज़ुर्गों के पास रहें.....’
‘क्या बात कर रहे हैं, लॉकर तो बहुत छोटे होते हैं....’
’नहीं वैसे नहीं.....दड़बे जैसे तो होने ही चाहिए......घर के सभी काम निपटाकर वे वहां आराम कर सकती हैं’
‘वहां उनका मन कैसे लगेगा, सरगुरु....’
‘वहां उन्हें धर्मग्रंथ दिए जाएं....उन्हें तो वे खुद भी छोड़ने को तैयार नहीं होतीं.....’
‘लेकिऩ मसला केवल शरीर का तो नहीं है, हम कोई भौतिकवादी तो हैं नहीं...अगर उन्हें वहां किसीका ख़्याल आ गया तो उनका मन, उनकी रुह, उनकी आत्मा इत्यादि भ्रष्ट नहीं हो जाएंगे......’
‘तो फ़िर.....उनके लिए बिल बनाए जा सकते हैं.....जब वे अंदर घुस जाएं तो बाहर से मिट्टी डाल दी जाए....'
‘अजी ऐसे तो वो मर ही जाएंगीं.......’
‘मर जाएंगी तो क्या हुआ, इज़्ज़त तो बची रहेगी।’



-संजय ग्रोवर

12 टिप्‍पणियां:

  1. उफ़्फ़ आपने तो हमारे समाज का आईना ही सामने रख दिया। लोगों का तो बस नहीं चलता वरना शायद आज इस समाज में औरतें ही ना होती।

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  2. सबसे बेहतर उपाय है बच्चा जी की लडकिय पैदा ही न होने दी जाएँ ... और पैदा ही नहीं होंगी तो कोई संकट ही नहीं आएगा ..
    लेकिन ‘सरगुरु, जी ...ऐसे तो दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी ...? अओउर्तेन नहीं होंगी तो दुनिया कैसे चलेगी ..
    देखो बच्चा मर्द तो होते ही जन्मजात लम्पट हैं ... वो तो कुछ भी करने को स्वतंत्र हैं .. यकीं न हो तो धर्मग्रन्थ देखो सभी मेरी बात को सही ठहराएंगे ... ना औरत होगी, ना मर्द पैदा होंगे ... ना होगा कोई टंटा ..
    सत्य वचन ‘सरगुरु, जी सत्य वचन

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  3. khari khari kahi hai sir aapne...................
    aaj maanav ki prakrati hi aisi ho gayi hai
    saandaar vyangybaan, iske liye badhai.

    जवाब देंहटाएं
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  5. नहीं नहीं केवल एक ही उपाय है -शुचिता बेल्ट पहनाया जाय -
    लगता है यह वाक्य आपके पोस्ट से छूट गया ..अपडेट कर लीजिये!

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  6. wah ! last sentence is the key note--mar jayengi to kya izzat to bachi rahrgi.....Sanjay ji, yun hi achanak klik karne par itni sateek kahani padhne ko milegi...mallom nahi tha ....Badhai aapko.

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  7. bahut achha likha hai....yahi hai samaj ka sach..par updesh par aapne aap ko saaf nhi karenge apne man se kubhaav nahi nikalenge.....
    sadhu sadhu

    shubhkamnayen

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  8. आज के भारतीय समाज का नंगा सच
    किशोर जैन गुवाहाटी असम

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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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