शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

उनके लिए कुछ लिख डाला...


हिचक, झिझक में, बंद घरों में

लोगों के, दुनिया के डरों में
बेमतलब यूं उम्र गुज़ारी
चलो आज फिर अपनी बारी....

सोचता था कि क्या लिखूं तुमको
कि अक्षरों में सही, मैं भला दिखूं तुमको


लिखूं वो बात नयी जो तुम्हे हिला डाले
जो सो गया तुममें, उसको फ़िर जगा डाले

वो ग़लतियां वो ग़लतफ़हमियां जो थीं हममें
वो दूर हो नहीं सकती क्या बदले आलम में


तुम्हारे ज़हन में क्या अब भी ये न आया, गया !
जो मैंने कम कहा था, ज़्यादा वो दिखाया गया


तुम्हारी बदली हो, मेरी तो रोज़ बदली है
ये दौर बदला है, लोगों की सोच बदली है


और हम तो थे ज़माने से आगे पहले भी
ये सोच-सोचके थे दिल हमारे दहले भी


अब आओं दोस्ती की नींव इक नयी डालें
बदलते वक्त को हम भी ज़रा बदल डालें


तुम हाथ मुझपे रखो, मैं तुम्हारी बात बनूं
अगरचे रात तुम्हे दे ख़ुशी तो रात बनूं


दो घड़ी रोएं, हंसंे, बात करें दिन-दिन भर
कि खोल डालें सभी गांठें अपनी गिन-गिन कर


अहम को छोड़के मैंने ये बात रक्खी है
हमारे सामने फ़िर इक हयात रक्खी है


हमारे सामने फ़िर दोस्ती की जन्नत है
गिनो तो दो हैं, सोचो तो पूरी दावत है



जाने क्या मुझको हुआ जाने क्या ये लिख डाला
तुम इसको कुछ भी कहो मैंने तो कुछ लिख डाला
अब जो लिख डाला है मत पूछो क्यूं ये लिख डाला
 
-संजय ग्रोवर

22 टिप्‍पणियां:

  1. देख रहा हूँ इसका सौन्दर्य -
    "तुम्हारी बदली हो, मेरी तो रोज़ बदली है
    ये दौर बदला है, लोगों की सोच बदली है" ।
    और यह भाव-विचार कि -
    "अहम को छोड़के मैंने ये बात रक्खी है
    हमारे सामने फ़िर इक हयात रक्खी है

    हमारे सामने फ़िर दोस्ती की जन्नत है
    गिनो तो दो हैं, सोचो तो पूरी दावत है"।

    कहने में असमर्थ रहता हूँ .. कैसे बताऊँ कि दूर तक जाती है बात ...

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  2. बहुत भावपूर्ण!!


    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    - यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

    नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल

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  3. बहुत अच्छी रचना।
    आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. जो भी लिख अच्‍छा लिखा ।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाऍं ।

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  5. "और हम तो थे ज़माने से आगे पहले भी
    ये सोच-सोचके थे दिल हमारे दहले भी"


    क्या बात है ....वाह ...वाह '
    बहुत असरदार बात कह जाते हैं आप

    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    नया साल मंगलमय हो
    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★

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  6. अहम् को छोड़ कर मैंने ये बात रक्खी है ..............

    क्या बात है संजय जी ! आबे हयात का और कोई रास्ता हो ही नहीं सकता .
    नए साल की बधाई .

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  7. जी आईये सचमुच कुछ बदलाव करें .....अच्छी कविता

    जवाब देंहटाएं
  8. नए वर्ष की शुभकामना। यह सिलसिला यूं ही चलता रहे। नव वर्ष पर एक अच्‍छी रचना मिली।

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  9. लिखूं वो बात नयी जो तुम्हे हिला डाले
    जो सो गया तुममें, उसको फ़िर जगा डाले
    ........bahut hi badhiyaa

    जवाब देंहटाएं
  10. सबसे पहले तो नववर्ष की शुभकामनायें, अच्छा लिखा है

    जवाब देंहटाएं
  11. अहम् को छोड़ कर मैंने ये बात रक्खी है ..............

    यही जरूरी भी है।

    जवाब देंहटाएं
  12. दो घड़ी रोएं, हंसंे, बात करें दिन-दिन भर
    कि खोल डालें सभी गांठें अपनी गिन-गिन कर


    अहम को छोड़के मैंने ये बात रक्खी है
    हमारे सामने फ़िर इक हयात रक्खी है

    अपने जज़्बात बहुत खूबी से रखे हैं...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह क्या बात है. वाकई क्या खूब लिख डाला. नए साल की बधाई

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  14. हिचक, झिझक में, बंद घरों में

    लोगों के, दुनिया के डरों में
    बेमतलब यूं उम्र गुज़ारी
    चलो आज फिर अपनी बारी....
    bahut sunder ! ythasthiti ke khilaf ,
    jo aavaj uthti hai ..wahi kvita hai !
    jo avrodh ko dur kare..wahi samkalin kavita hai! aisa hi kuchh bhav bajjar kvita ka hai aapka dhyaan chahungi !nv vrsh mangalmy ho !

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  15. नए वर्ष की आपको शुभकामनायें

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  16. आप जैसे लोग निश्चित ही ज़माने से आगे की सोच रखते हैं... बहुत ही अच्छी और अर्थपूर्ण कविता. नव वर्ष की शुभकामनाएँ!!

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  17. अब आओं दोस्ती की नींव इक नयी डालें
    बदलते वक्त को हम भी ज़रा बदल डालें

    एक बहुत अच्छी सोच और भावना. आज समाज को इसकी जायदा जरुरत है. इसी भाव को जगाये रखिये लोगों को जागरूक बनाये रखिये
    बहुत बेहतरीन भाव बधाई

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  18. dear sanjay,,,khule dilo se khule dimag se har dil ki jhumati raag me aapne kah di bat bat me ,,naye saal ki nai subah me rakh di apani bat naye andaj me ,,,badhaiya ,,,kamna mumbai

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  19. अच्छी रचना के साथ आप को नव वर्ष की बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  20. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

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  21. हिचक, झिझक में जब इतनी शानदार रचना लिखी, फिर अगर पूरे मूड में लिखते तो क्या बात होती।
    --------
    अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
    ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।

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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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