शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

ग़ज़ल जो अब तक छपी नहीं..पढ़ो कहीं तो पढ़ो यहीं..

ग़ज़ल

एक तरफ दुनिया है एक तरफ तू
लोग मुझे पूछे हैं किसकी तरफ तू

साथ में गर तू है तो दुनिया से क्या डर
दुनिया तो उसी की है जिसकी तरफ तू

मेरी तरफ होने की यह भी एक शक्ल
छोड़ मुझे, होजा बस अपनी तरफ तू

ख़ुदको ही मिटा डाला तूने जिस तरह
लगता है फैलेगा चारों तरफ तू

तेरी इस अदा को मैं फन कहूं कि ऐब
हर कोई ये समझे है उसकी तरफ तू




-संजय ग्रोवर

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया .. पर दुनिया के दूसरी तरु रह पाना इतना आसान भी नहीं होता !!

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  2. ख़ुदको ही मिटा डाला तूने जिस तरह
    लगता है फैलेगा चारों तरफ तू....khoobsurat ahsaas...

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  3. खूबसूरत कविता के लिए,
    संजय ग्रोवर जी आपको बहुत बधाई।

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  4. तेरी इस अदा को मैं फन कहूं कि ऐब
    हर कोई ये समझे है उसकी तरफ तू

    --फन कहने में ही गुजारा है मित्र. बहुत उम्दा!!

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  5. मै भी हूँ उस तरफ़ , जिस तरफ़ है तू
    चुपके से चल पडूंगी चले जिस तरफ़ भी तू

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  6. तेरी इस अदा को मैं फन कहूं कि ऐब
    हर कोई ये समझे है उसकी तरफ तू

    बहुत सही है ..

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  7. bahut hi khub likha hai apane .......her ek panktian khub jami.....badhaaee

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  8. बहुत ही उम्दा और खूबसूरत गजल । धन्यवाद ।

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  9. comment likhne ko click kiya to paya ki aap mere comment ke mohtaz nahi. pahle se dher sari tareefen bikhari padi hain. achchi gazal hai. thodi hatkar hai...................................aajkal mai is udhedbun me laga hu ki kya internet shahitya ke liye ek gambhir plateform ya madhyam ban chuka hai? yahan chori ya reliability ka dar to hai...phir sochta ho print literature me hi is baat ki kya garanti hai ki ghaple nahi honge. Internet ki jo baat achhi hai wo hai fast communication aur aasaan sadhan. kisi ek rachna par turant comment aa jana. ek nahi darjno our saikado comment koi choti baat to nahi. ek khasiyat our dikh rahi hai rachna ek sath puri dunia me padhi jaati hai bina kisi badha ya hastchhep ke. aap apne publisher a sampadak khud hote hai..................................................pichale kuch dino se mai is natije par pahuch raha hu ki koi kitab ya katha sangra nikalwane ka khyal hamesha ke liye chhod dun. kyo na internet par hi sabkuch samarpit kar diya jaay. kya mai thik soch raha hu. ya jaldbaji kar raha hu. koi khyal sujhe to batayiyega.

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  10. आप जो कोई भी हैं लगता है आपके दिल की धड़कनों के कुछ हिस्से पर मेरा भी अधिकार रहा है। आपकी लगभग सभी बातों से मैं सहमत हूं। अगर आपके पास आय का कोई अन्य सुनिश्चित साधन है तो ब्लाॅगिंग में खुदको बहा देने में कोई हर्ज नहीं। हां, जहां तक साहित्यिक चोरी की बात है तो ब्लाॅगिंग में यह आसानी से पकड़ी भी जाती है। फिर भी इस क्षेत्र के दिग्गजों/विशेषज्ञों से सलाह ले लेने में कोई हर्ज़ नहीं। दिग्गजों के नाम हमें मिलकर ढूंढने होंगे।

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  11. एक तरफ दुनिया है एक तरफ तू
    लोग मुझे पूछे हैं किसकी तरफ तू

    BEHATAREEN

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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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