मेला मशहूर था.
कई दुकाने लगी होती थी. कुछ दुकानों पर प्लास्टिक के टुकड़ों से बना एक चौखटा जैसा बिकता था. ये टुकड़े चौखटे के भीतर ही सरकते थे. इन पर एक नक्शा सा बना होता था. दंकानदार उस बिगड़े हुए नक्शे को दिखाकर बताता था कि इन टुकड़ों को सरकाकर नक्शा वापस बिठाना है. नक्शा सही हो गया समझो आप जीत गए.
क्या उस समय भी कोई होता था जो समझता हो कि उसने नक्शा जोड़ लिया मतलब समाज को जोड़ लिया !
ताली बजानेवाले तब भी होते थे.
-संजय ग्रोवर
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कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....