शनिवार, 13 नवंबर 2010

वे, मैं और इमेज

लघु-व्यंग्य-कथा



पहले उनकी इमेज आयी।
स्नेहपूर्वक मुझे खींचा, दरवाज़े से बाहर ले गई।
मंच पर खड़ा कर दिया। तत्पश्चात मेरी तारीफ़ों के पुल बंधे। सत्कार में गायन-वादन हुआ। विनम्रता देखते ही बनती थी। भीड़ जमा हुई। भीड़ विदा हुई।
‘बन गयी तुम्हारी भी, बना दी मैंने, अब अंदर चलें।’
अनमना-सा मैं, अंदर लौटते हुए कुछ सोच-समझ नहीं पा रहा था।
इमेज को उन्होंने बाहर ही छोड़ दिया, ख़ुद अंदर आ गए।
‘लाओ, निकालो’, वे बोले।
‘क्या ?’ मैं हैरान।
‘क़ीमत’
‘किस बात की ?’
‘अभी इमेज नहीं बनायी तुम्हारी ! मुफ्त में बनती है क्या ?’
मुझे एकाएक कुछ सूझा नहीं।
‘मैंने कहा था क्या !?’ बमुश्किल मेरे मुंह से बोल फूटे।
मेरा गिरेबान उनके हाथ में, ‘तुमने मना भी तो नहीं किया था।’ गोला मेरे सर पर लगा। कुछ पल को सोच की सांसें फिर रुकीं।

बल्कि यंूही कई साल गुज़र गए।

एकाएक मैंने उनको गले से पकड़ा, भड़ाक से दरवाज़ा खोला और बाहर लोगों की तरफ़ चला, ‘अभी सारा हिसाब बराबर किए देता हूं।’
उन्होंने मेरे हाथ झटके और अपनी इमेज के साथ ‘ये जा और वो जा’।

-संजय ग्रोवर

20 टिप्‍पणियां:

  1. इमेज मुफ्त में बनती है क्य...आप है कि बिगड़ने पे तुले हउवे हैं...अपनी तो बनी बने तोड़ी ही बेचारे उनकी भी तोड़ दी...बहूऊ हु हु ,..........

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  2. 6.5/10

    एक अलग तरह की उत्कृष्ट लघु-कथा
    इमेज भी बड़ी कुत्ती चीज होती है, एक बार साथ लग जाए तो इसके बोझ से पार पाना भी टेढ़ी खीर है

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  3. इमेज की ही तो कीमत रह गयी है, बाकी सब तो बस .....
    उस्‍ताद जी ने ठेठ पंजाबी अंदाज़ में इमेज के बारह बजा दिये।

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  4. its really good. actually i think its always difficult to say in least possible words and u did it so well done and keep it up......
    www.jksoniprayas.blogspot.com

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  5. इमेज बाहर ही छूट गया, मैसेज अंदर आ गए।

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  6. :)... अब वो अपनी इमेज को सुधारते फिरेंगे ... अच्छी लगी ये कथा ...

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  7. saccha sarthak vyng hai .sabhi ka yehi haal yani image ki bhi keemat sunder katha

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  8. कथा के साइज़ के लिहाज़ से व्यंग्य बहुत ही बड़ा है। बधाई ग्रोवर जी।


    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल
    व्यंग्य http://vyangya.blog.co.in/
    व्यंग्यलोक http://www.vyangyalok.blogspot.com/
    फेसबुक http://www.facebook.com/profile.php?id=1102162444

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  9. बहुत दिनों बाद ब्लोग्स पर कुछ नया और अच्छा पढ़ने को मिला.बहुत अच्छे .

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  10. बहुत चुटीला और धारदार व्यंग ! सारगर्भित पोस्ट के लिये बधाई !

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  11. Bhai Shri Sanjayji,

    Namaste,

    ve,main aur image- yah rachna aaj ke pariprekshy ki asli tasvir prastut karti hai. Badhai. Likhte rahain.

    Regards,
    Shilpa

    Shilpa Sontakke
    (VIA EMAIL)

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  12. badi pyari image ban gayee..........aapki mere aankho ke saamne........kyonki itti pyari kavita jo aapne post ki.......:)
    badhai...

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  13. सन्देश दे गयी इमेज ..शुक्रिया
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  14. आदरणीय श्रीसंजयजी,

    लाजवाब व्यंग, आपका ब्लॉगींग..क्या कहना..!!

    अभिनंदन।

    मार्कण्ड दवे.

    जवाब देंहटाएं

कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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