दोहानुमा
कट्टरपंथी खोपड़ी, प्रगतिशील हैं केश
नीयत छिपती ही नहीं, कितना बदलो वेश
रंगों का आदर करें, रंगों का अपमान
चश्मे वालों को कहाँ दिखते हैं इंसान
भीड़ के ऊपर तू खड़ा, तेरे ऊपर भीड़
चाहे जितना ले सजा, कच्चा तेरा नीड़
नए तुझे और उसे पुराने, जकड़े रहते ग्रंथ
वो भी कट्टरपंथ है, तू भी कट्टरपंथ
नयी हवा ने बीच में, खेला ऐसा खेल
संस्कार की रेल में, मच गई रेलमपेल
उसके पास प्रचार है, तेरे पास विचार
उसके पौबारह हुए, तेरा पड़ा अचार
-संजय ग्रोवर
No east or west,mumbaikar or bihaari, hindu/muslim/sikh/christian /dalit/brahmin… for me.. what I believe in logic, rationality and humanity...own whatever the good, the logical, the rational and the human here and leave the rest.
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कट्टरपंथी खोपड़ी, प्रगतिशील हैं केश
जवाब देंहटाएंनीयत छिपती ही नहीं, कितना बदलो वेश
वाह सर आज तो आपने धो कर रख दिया सबको..........
बेहतर अश्आर...
जवाब देंहटाएंनीयत छिपती ही नहीं, कितना बदलो वेश
जवाब देंहटाएंएक से बढकर एक।
भीड़ के ऊपर तू खड़ा, तेरे ऊपर भीड़
जवाब देंहटाएंचाहे जितना ले सजा, कच्चा तेरा नीड़
सही है
"उसके पास प्रचार है, तेरे पास विचार
जवाब देंहटाएंउसके पौबारह हुए, तेरा पड़ा अचार"
क्या बात है !
आभार !
उदारवाद की परिभाषा क्या है ?
जवाब देंहटाएंदोस्त यकीनन
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार लिखा गया है
तमाचा है..
बधाई
भीड़ के ऊपर तू खड़ा, तेरे ऊपर भीड़
जवाब देंहटाएंचाहे जितना ले सजा, कच्चा तेरा नीड़
sacchi sateek baat bade sahityik andaz mein vyakt hui hai!!!
उसके पास प्रचार है, तेरे पास विचार
जवाब देंहटाएंउसके पौबारह हुए, तेरा पड़ा अचार !!
सही कहा आपने! शत प्रतिशत सहमत्!
bahut achha sanjay ji
जवाब देंहटाएंkattarpanthi khopdiyo par kada prahar hai sir
जवाब देंहटाएंafsar ali
सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंSanjay jee!!
जवाब देंहटाएंभीड़ के ऊपर तू खड़ा, तेरे ऊपर भीड़
चाहे जितना ले सजा, कच्चा तेरा नीड़
bahut pyari baat kahi aapne!!
ek sateek rachna........
नए तुझे और उसे पुराने, जकड़े रहते ग्रंथ
जवाब देंहटाएंवो भी कट्टरपंथ है, तू भी कट्टरपंथ
नयी हवा ने बीच में, खेला ऐसा खेल
संस्कार की रेल में, मच गई रेलमपेल
बहुत बढिया। धन्यवाद।
नए तुझे और उसे पुराने, जकड़े रहते ग्रंथ
जवाब देंहटाएंवो भी कट्टरपंथ है, तू भी कट्टरपंथ
उसके पास प्रचार है, तेरे पास विचार
उसके पौबारह हुए, तेरा पड़ा अचार
सभी दोहे सामयिक व स्तरीय हैं। बधाई।
भीड़ के ऊपर तू खड़ा, तेरे ऊपर भीड़
जवाब देंहटाएंचाहे जितना ले सजा, कच्चा तेरा नीड़
नए तुझे और उसे पुराने, जकड़े रहते ग्रंथ
वो भी कट्टरपंथ है, तू भी कट्टरपंथ
wah janab kya khoobsurat assar hai
daad kubool karen
भीड़ क ेउपर तू खड़ा तेरे उपर भीड़,
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे। बधाई
भाई आप ऐसी चोट करते हैं कि चोट खाने वाला भी दाद देकर चला जाता है। बाद में शरीर में कहीं दर्द उठता है तो जान नहीं पाता चोट कब और कहां लगी... :)
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार सुन्दर दोहे! बधाई!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार लिखा गया है बधाई।
जवाब देंहटाएं