गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

नयी गजल में नये शेर का ‘उदय’


ग़ज़ल

पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी

उनको कांधा देने वाली भीड़ थी, भगवान था
हमको अपनी लाश आखिर खुद उठानी पड़ गयी

भीड़ का उनको नशा था, बोतलें करती भी क्या
तिसपे रसमों-रीतियों की सरगिरानी बढ़ गयी

छोटे शहरों, छोटे लोगों को मदद मिलनी तो थी
हाकिमों के रास्ते में राजधानी पड़ गयी

कुछ अलग लिक्खोगी तो तुम खुद अलग पड़ जाओगी
यूं ग़ज़ल को झांसा दे, आगे कहानी बढ़ गयी

दिल में फ़िर उट्ठे ख्याल ज़हन में ताज़ा सवाल
आए दिन कुछ इस तरह मुझपर जवानी चढ़ गयी

‘वार्ड नं. छ’ को ‘टोबा टेक सिंह’ ने जब छुआ-
किस कदर छोटी मिसाले-आसमानी पड़ गयी

-संजय ग्रोवर

कैसा संयोग है कि मंटो की कहानी ‘टोबा टेक सिंह’ अभी-अभी ‘देशकाल’ पर प्रकाशित हुई है जिसका कि लिंक मैं यहां लगा रहा हूं।


एक और संयोग ! आमिर खान पहली बार हॉलिवुड की किसी फिल्म में काम करने जा रहे हैं। femalefirst।co।uk के मुताबिक, यह इंटरनैशनल फिल्म सआदत हसन मंटो की भारत-पाक विभाजन पर लिखी गई मशहूर कहानी 'टोबा टेक सिंह' पर बनने वाली है। कहा जा रहा है कि आमिर स्क्रिप्ट से काफी प्रभावित हुए हैं। इसमें वह पागल की भूमिका निभाएंगे। हो सकता है इस फिल्म में वह केट विंसलेट के साथ कॉम्बिनेशन बनाएं। नवभारत टाइम्स में छपी इस खबर का लिंक भी मैं यहीं लगा रहा हूं।

23-05-2009

14 टिप्‍पणियां:

  1. छोटे शहरों, छोटे लोगों को मदद मिलनी तो थी
    हाकिमों के रास्ते में राजधानी पड़ गयी

    subhanalaah.....बाबा टेंक सिंह वाला भी जमा है हमें.....

    जवाब देंहटाएं
  2. उनको कांधा देने वाली भीड़ थी, भगवान था
    हमको अपनी लाश आखिर खुद उठानी पड़ गयी
    kya baat hai...bahut hi geheri baat kahi aapne..

    जवाब देंहटाएं
  3. पहला शे'र पढ़ कर ही तबियत खुश हो गयी.. गुलशन जी .....

    पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
    उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी

    वाह.....बहुत खूब.......!!

    उनको कांधा देने वाली भीड़ थी, भगवान था
    हमको अपनी लाश आखिर खुद उठानी पड़ गयी


    लाजवाब.........!!

    दिल में फ़िर उट्ठे ख्याल ज़हन में ताज़ा सवाल
    आए दिन कुछ इस तरह मुझपर जवानी चढ़ गयी

    वाह जी वाह आप पर जवानी इसी तरह चढ़ी रहे........!!

    अब आपके सवाल का जवाब.......

    AB KYA KAHUn ?! YAHI HARKIRAT HAI JO MERE BLOG PAR KAISE BEBAK BINDAS MAZAK KARTI HAI.

    क्या है गुलशन जी अगर मैं यहाँ भी संजीदा टिप्पणी कर दूँ तो आपकी ग़ज़ल की तौहीन नहीं हो जायेगी........!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
    उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी


    -गज़ब जनाब!! बहुत खूब!!

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  5. पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
    उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी....
    ‘वार्ड नं. छ’ को ‘टोबा टेक सिंह’ ने जब छुआ-
    किस कदर छोटी मिसाले-आसमानी पड़ गयी....
    aapki post ne boht hi alag si baat hoti hai...paaglo ko bhi sarkaare bant deti hai....magar toba tek sing sarkar zindabaad...woh jeete ji nahi banta..desh chahe bant gaya...kaash!desh bhi apne pair zmeen me gadh leta to banta na...

    जवाब देंहटाएं
  6. Harkirat Haqeer said...
    क्या है गुलशन जी अगर मैं यहाँ भी संजीदा टिप्पणी कर दूँ तो आपकी ग़ज़ल की तौहीन नहीं हो जायेगी........!!!
    AUR AAPKI APNI "IMAJE" BHI TO KHARAB HO JAYEGI....

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  7. ‘वार्ड नं. छ’ को ‘टोबा टेक सिंह’ ने जब छुआ-
    किस कदर छोटी मिसाले-आसमानी पड़ गयी

    Sanjeedgi aur haasy aur vyang..........teeno hi to hain is gazal mein. Adbhud hai ....

    जवाब देंहटाएं
  8. पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
    उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी

    BEHATAREEN

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  9. Aapki ek ek pankti par hamari sau sau waahwaahi..
    Bahut khoob lagi aapki rachna..

    जवाब देंहटाएं
  10. पागलों की इस कदर कुछ बदगु़मानी बढ़ गयी
    उनके हिस्से की दवा भी हमको खानी पड़ गयी
    आपने कमाल की बात कही है

    जवाब देंहटाएं
  11. दुनिया को सच्चाई बताने
    चेहरे ओढ़, नक़ाबें निकलीं
    क्या खूब लिखते हैं . नए शब्द और नए अर्थों में
    toba take singh bhejane ke liye dhanywad

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  12. ek se ek khoobsurat ..or gahre sher

    humko apni lash bhi ab khud uthani pad gayi...

    जवाब देंहटाएं
  13. http://www.anubhuti-hindi.org पर पढ़िए संजय ग्रोवर की ग़ज़लें.लिक(LINK)है- (http://www.anubhuti-hindi.org/anjuman/s/sanjay_grover/index.htm)। या संजय ग्रोवर को कापी करके किसी भी सर्चखाने में पैस्ट करें,खोजे और पढ़ें संजय ग्रोवर का सब कुछ।

    जवाब देंहटाएं

कहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते....

देयर वॉज़ अ स्टोर रुम या कि दरवाज़ा-ए-स्टोर रुम....

ख़ुद फंसोगे हमें भी फंसाओगे!

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ढूंढो-ढूंढो रे साजना अपने काम का मलबा.........

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