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photo by Sanjay Grover |
भीड़, तन्हा को जब डराती है
मेरी तो हंसी छूट जाती है
सब ग़लत हैं तो हम सही क्यों हों
भीड़ को ऐसी अदा भाती है
दिन में इस फ़िक़्र में हूं जागा हुआ
रात में नींद नहीं आती है
भीड़, तन्हा से करती है नफ़रत
और हक़ प्यार पे जताती है
एक मुर्दा कहीं से ले आओ
भीड़ तो पीछे-पीछे आती है
पूरी औरत को करके अंगड़ाई
शायरी कैसा सितम ढाती है
आज इक और बात कह डाली
देखिए किसको समझ आती है
-संजय ग्रोवर
27-06-2018