
उनकी ख़ूबी मुझे जब ख़राबी लगी
उनको मेरी भी हालत शराबी लगी
उम्र-भर उनके ताले यूं उलझे रहे
वक़्त पड़ने पे बस मेरी चाबी लगी
उनके हालात जो भी थे, अच्छे न थे
उनकी हर बात मुझको क़िताबी लगी
उनके पोस्टर पे गांधीजी चस्पां थे पर
उनके गुंडों की नीयत नवाबी लगी
मिलना-जुलना मुझे उनका अच्छा लगा
भ्रष्ट थे सबके सब, ये ख़राबी लगी
-संजय ग्रोवर