
मैं वहां नहीं मिला
क्योंकि मैं यहूदी नहीं था
फिर वे वामपंथियों के लिए आए
मैं उन्हें नहीं मिला
क्योंकि मैं वामपंथी नहीं था
वे अब संघियों के लिए आए
मैं नहीं मिला
क्योंकि मैं संघी नहीं था
वे आए मंदिरों में, मस्ज़िदों में, गुरुद्वारों में
उन्होंने कोना-कोना छान मारा
सवाल ही नहीं था कि मैं वहां होता
वे आए औरतों के लिए, मर्दों के लिए, उभयलिंगीयों के लिए
मैं वहां होता तभी तो मिलता
मैं उन्हें ऐसी किसी जगह नहीं मिला
जहां लोग ख़ुदको ही झांसा दे रहे थे
अपने-आपसे झूठ बोल रहे थे
दूसरों का वक़्त बरबाद करके
ख़ुदको दिलासा दे रहे थे
लोगों को ग़रीब करके
ख़ुदको अमीर समझ रहे थे
भगवा, हरा, ब्राहमी
रंग लपेटे
ख़ुदको सादामिजाज़
बता रहे थे
वे ऐसी हर जगह पर गए
जहां उन्होंने सिर्फ़ ख़ुदको पाया
उन्हें पता ही नहीं था
कि लगातार
वे ख़ुदसे ही लड़ रहे थे
मैं तो न हिंदू था न मुसलमान न सिख न ईसाई
न किसीसे श्रेष्ठ
मैं तो बस इंसान था
हूं और रहूंगा
मैं तो बस स्वतंत्र था
हूं और रहूंगा
-संजय ग्रोवर
22-09-2017