tag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post825189543055523446..comments2023-09-13T20:34:42.779+05:30Comments on saMVAdGhar संवादघर: कुछ खुरदुरी-सी दो ग़ज़लें/लगभग बुरी-सी दो ग़ज़लेंSanjay Groverhttp://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-50162443464604429062013-01-08T17:49:44.142+05:302013-01-08T17:49:44.142+05:30इस लिंक को देखें, मज़ा आएगा......
http://youtu.be...इस लिंक को देखें, मज़ा आएगा......<br /><br />http://youtu.be/cey84a6jaTISanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-38127681690753709182013-01-06T11:49:49.105+05:302013-01-06T11:49:49.105+05:30रटो रदीफ़ो रट-रट,
सड़ो काफ़ियो सड़-सड़..
क्या बा...रटो रदीफ़ो रट-रट,<br />सड़ो काफ़ियो सड़-सड़..<br /><br /><br />क्या बात है-- कटु-सुन्दर..<br /><br /> मतला बगैर हो गज़ल, न रदीफ ही रहे,<br />यह तो गज़ल नहीं, ये कोई वाकया नहीं |<br /><br />अपनी दूकान चलती रहे, ठेका बना रहे ,<br />है उज्र इसलिए, रदीफ-काफिया नहीं |<br /><br />अपनी ही चाल ढालते ग़ज़लों को हम रहे,<br />पैमाना कोई नहीं, कोई साकिया नहीं |<br /><br /><br /><br /> shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-61843147268521577802013-01-05T13:34:43.733+05:302013-01-05T13:34:43.733+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड)</a> पर भी होगी!<br />--<br />कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।<br />सादर...!<br />नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-<br />सूचनार्थ!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-75475166334083139402012-06-08T16:07:47.629+05:302012-06-08T16:07:47.629+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (09-06-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी होगी!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-35279130111515478672010-01-24T16:36:37.540+05:302010-01-24T16:36:37.540+05:30" दुत्कारना दलित को, चालू को चाट लेना
जो इसी..." दुत्कारना दलित को, चालू को चाट लेना <br />जो इसी को जीत समझे कभी जीत़ता नहीं है<br /><br />वो जो सामने न आए, तू उसी से बचके रहना<br />वो ज़रुर काट लेगा कि जो भौंकता नहीं है "<br /><br />संजय जी, बहुत सुंदर बनी हैं गज़लSunil Balanihttps://www.blogger.com/profile/14806041150956325741noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-12916765196109243762009-12-21T12:53:59.976+05:302009-12-21T12:53:59.976+05:30यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना
इसे तुम...यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना<br />इसे तुम हया न समझो, हरगिज़ हया नहीं है<br /><br />संजय इस ग़ज़ल के सरे शेर एक से बढ़ कर एक हैं...बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...वाह...<br />****<br />कथित 'उच्चता' गुड़-गुड़,<br />’योग्य’ मक्खियां भड़-भड़<br /><br />रटो रदीफ़ो रट-रट,<br />सड़ो काफ़ियो सड़-सड़<br /><br />ये अंदाज़ भी निहायत निराला है...बिलकुल अलग हट के...गज़ब.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-77934916869452717572009-12-19T22:20:21.042+05:302009-12-19T22:20:21.042+05:30पढ़े-लिखे नंगों से
सहम गए हैं अनपढ़
वाह ..वाह
ब...<b>पढ़े-लिखे नंगों से<br />सहम गए हैं अनपढ़</b> <br /><br />वाह ..वाह <br />बहुत वजनी पंक्तियाँ <br />और उनसे भी ज्यादा वजनी है इसका भावार्थ <br /><br />वर्ष 2009 की स्मरणीय पंक्ति !<br />शुभ कामनाएंप्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-13373633621821280232009-12-19T14:45:39.600+05:302009-12-19T14:45:39.600+05:30मन कचोटा भी और आनंद भी आया..
- सुलभ<b>मन कचोटा भी और आनंद भी आया..<br /><br />- सुलभ </b>सुलभ सतरंगीhttp://sulabhpatra.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-85585834935688063842009-12-19T13:49:17.421+05:302009-12-19T13:49:17.421+05:30वाह ग्रोवर साहब , उम्मीद है कि भूले तो नहीं होंगे ...<i>वाह ग्रोवर साहब , उम्मीद है कि भूले तो नहीं होंगे अपने पडोसी को ,,आपके इन खुरदुरे गज़लों पर तो जाने कब के फ़िसल चुके हैं हम और कहें कि फ़िसल के गिर पडे हैं और लुट गए हैं तो ,....गोया ये तो न समझेंगे कि झाजी दिल्लगी पर उतर आए हैं । संवाद घर की याद अभी भी बहुत आती है ...मिलता हूं किसी दिन फ़ुर्सत में ....</i>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-51752696538739546382009-12-19T11:01:20.323+05:302009-12-19T11:01:20.323+05:30.
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"वो जो सामने न आए, तू उसी से बचके रहना
....<br />.<br />.<br />"वो जो सामने न आए, तू उसी से बचके रहना<br />वो ज़रुर काट लेगा कि जो भौंकता नहीं है।"<br /><br /><br />"कथित 'उच्चता' गुड़-गुड़,<br />’योग्य’ मक्खियों भड़-भड़.<br />रटो रदीफ़ो रट-रट,<br />सड़ो काफ़ियो सड़-सड़."<br /><br />इतना "बुरा" और "खुरदुरा" काहे को लिख दिये आप ?... भाई जमाने का कुछ तो लिहाज करो ...... :)<br />आभार!प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-17628434272787938382009-12-19T02:08:57.512+05:302009-12-19T02:08:57.512+05:30(कहिए जो भी कहना है:-)
क्या कहें,
सरासर 'धोखा&...(कहिए जो भी कहना है:-)<br />क्या कहें,<br />सरासर 'धोखा' हुआ है हमारे साथ..<br />कुछ 'बुरा' सा देखने चले थे,<br />क्या पता था, कई अच्छे शेर भी होंगे<br />चलिये, मुबारकबाद लीजिये<br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-63849839190836109342009-12-18T22:06:07.923+05:302009-12-18T22:06:07.923+05:30मानवता की धुरी-सी ग़ज़लें,
शोषक को हैं छुरी-सी ग़ज़लें...मानवता की धुरी-सी ग़ज़लें,<br />शोषक को हैं छुरी-सी ग़ज़लें।Dicnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-64019606598403793232009-12-18T21:50:31.086+05:302009-12-18T21:50:31.086+05:30बढ़िया गजलों को खुरदरी सी/बुरी सी क्यों कह रहे हो|...बढ़िया गजलों को खुरदरी सी/बुरी सी क्यों कह रहे हो|डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-89724213694604718992009-12-18T21:44:27.310+05:302009-12-18T21:44:27.310+05:30वाह वाह क्या बात है । कुछ बातें खुरदुरे तरीके से ...वाह वाह क्या बात है । कुछ बातें खुरदुरे तरीके से ही कही जा सकतीं हैं । यद्यपि खुरुदरी है कि नहीं पता नहीं । दूसरी वाली तो बिल्कुल क्रिएटिव है । <br /><br />इसी रास्ते से मैं क्यों कोई रास्ता निकालूं !<br />मेरे वास्ते जगत में, क्या रास्ता नहीं है !?<br /><br />दिखा जो उनको कीचड़,<br />लिथड़ गए सब लीचड़<br /><br />रटो रदीफ़ो रट-रट,<br />सड़ो काफ़ियो सड़-सड़<br /><br />मजा आ गया ।अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-52367011925602437582009-12-18T21:42:05.749+05:302009-12-18T21:42:05.749+05:30बेहतरीन तो हैं भाई..आनन्द आ गया!बेहतरीन तो हैं भाई..आनन्द आ गया!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-75738573420180903512009-12-18T20:36:09.586+05:302009-12-18T20:36:09.586+05:30बहुत अच्छी रचनाएं।बहुत अच्छी रचनाएं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-17297686409321107682009-12-18T20:12:52.258+05:302009-12-18T20:12:52.258+05:30यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना
इसे तुम...यूंही ख्वाहमख्वाह ही डरके कोई बात मान लेना<br />इसे तुम हया न समझो, हरगिज़ हया नहीं है<br /><br />बहुत बढ़िया!!परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-16994305430960817232009-12-18T17:17:17.340+05:302009-12-18T17:17:17.340+05:30किसने कह दिया बुरी गजलें? जिंदगी की सच्चाई उकेरी ग...किसने कह दिया बुरी गजलें? जिंदगी की सच्चाई उकेरी गयी है। बढिया हैं।<br />------------------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.com