tag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post5900726378112425917..comments2023-09-13T20:34:42.779+05:30Comments on saMVAdGhar संवादघर: ग़ज़लों की चोरी: पार्ट टूSanjay Groverhttp://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-281069149333725122011-07-24T15:49:22.317+05:302011-07-24T15:49:22.317+05:30भयंकर चोरी हुई है आपके लिखे की। इतने सारे लिंक खोज...भयंकर चोरी हुई है आपके लिखे की। इतने सारे लिंक खोज कैसे लिए? आप भी तो हैं कुछ।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-13013135390378888832011-07-14T14:21:32.614+05:302011-07-14T14:21:32.614+05:30मजाक के तौर पर कहा जाये तो यह बात सही है कि आप अच्...मजाक के तौर पर कहा जाये तो यह बात सही है कि आप अच्छा लिखते हैं तभी दूसरे लोग आपकी रचना चोरी करते हैं। लेकिन यह एक गम्भीर मामला है। चोरी किसी भी प्रकार की हो, चोरी ही कहलाती है। हम और कुछ नहीं तो कम से कम ऐसे लोगों का बहिष्कार तो कर ही सकते हैं।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-72506284039459411602011-07-11T12:26:35.166+05:302011-07-11T12:26:35.166+05:30अच्छी चीज़ों की चोरी अक्सर हो ही जाया करती है...बध...अच्छी चीज़ों की चोरी अक्सर हो ही जाया करती है...बधाई हो आपकी रचनाओं का असर व्यापक है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-40263434490404265542011-07-09T15:38:55.379+05:302011-07-09T15:38:55.379+05:30आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्चछा लगा , मैं बी एक बला...आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्चछा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू<br />लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/<br /> <br />मै नइ हु आप सब का सपोट chheya<br /> joint my followervidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-82989241700693591022011-07-09T12:36:51.089+05:302011-07-09T12:36:51.089+05:30बधाई हो।बधाई हो।Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-30773713072179628622011-07-09T07:28:47.810+05:302011-07-09T07:28:47.810+05:30ऐसी चोरी की घटनाएँ आम हो चली हैं अब तो ...
निंदनीय...ऐसी चोरी की घटनाएँ आम हो चली हैं अब तो ...<br />निंदनीय !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-23560762392566974332011-07-08T19:11:32.678+05:302011-07-08T19:11:32.678+05:30भाई ये तो सरासर चोरी ही है और बहुत घ्रृणित और अशोभ...भाई ये तो सरासर चोरी ही है और बहुत घ्रृणित और अशोभनीय कार्य है। अन्तर्जाल पर यह खतरा तो रचनाओं के साथ है ही, पता नहीं चलता कब आपकी कोई रचना अपने ब्लॉग में या किसी अन्य ब्लॉग/वेब पत्रिका में अपने नाम से दे रहा है। अगर पकड़ में आ जाते हैं ऐसे लोग तो लाख विरोध जतायें, वे अपनी ढीठता नहीं छोड़ते। इनके पास अपना तो कुछ होता नहीं, दूसरा का चुराकर ही खुश होते रहते हैं। लेकिन हम सबको इस का खुलकर विरोध करना चाहिए।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-42164468435730356522011-07-08T18:17:59.305+05:302011-07-08T18:17:59.305+05:30है तो भैया बिलकुल ही गलत। पर अभी तो यही कहने का मन...है तो भैया बिलकुल ही गलत। पर अभी तो यही कहने का मन हो रहा है कि मुबारक हो।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-67205769060703703322011-07-08T16:11:39.289+05:302011-07-08T16:11:39.289+05:30रवि कुमार, रावतभाटा जी ने कहा 'मुबारक हो......रवि कुमार, रावतभाटा जी ने कहा 'मुबारक हो...'। मैं भी सहमत हूँ। भाई जी, आप ऐसी ग़ज़लें लिखते ही क्यूँ है कि लोग उन्हें अपना बनाने की सोचें। गंदी-गंदी, उट-पटॉंग ग़ज़लें कहा कीजिये, कोई नहीं चुराएगा। अगर एकाध शेर कहीं कह भी बैठा तो तत्काल कहेगा 'जी, ये मेरी नहीं है, ये तो संजय ग्रोवर की हैं।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-11864383956060931032011-07-06T17:35:05.719+05:302011-07-06T17:35:05.719+05:30एक ब्लॉग पर ऐसी ऐसी बेहतरीन रचनाएं टंकित रहती थीं ...एक ब्लॉग पर ऐसी ऐसी बेहतरीन रचनाएं टंकित रहती थीं की पढ़कर वाह वाह कहते हम थकते नहीं थे...<br />एक दिन देखा एक बड़े मशहूर शायर की गजल टंकी हुई थी,पर उनका नाम उल्लिखित नहीं था...मैंने ब्लॉगर महोदय से निवेदन किया की रचनाकार के नाम का सादर उल्लेख कर दें..इसपर उन्होंने पूरे ठसक से मुझे उत्तर दिया की नाम में क्या रखा है..वे नाम के उल्लेख में बिलकुल विश्वास नहीं करते..उन्हें जो रचना रुचती है,वे उसे एक भाव भर समझते हैं अपने मन की और पोस्ट कर देते हैं,भले कोई यह क्यों न समझे की यह उनकी ही लिखी हुई है...<br />यह सीनाजोरी और अशिष्टता मुझे इतनी अखरी की फिर कभी दुबारा उनके ब्लॉग का रुख नहीं किया...<br /><br />ऐसे क्षुद्र लोग विश्वसनीयता की कीमत नहीं समझते और कालांतर में स्वयं ही उपहास का पात्र बनते हैं...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-72967451231180169512011-07-03T11:35:03.065+05:302011-07-03T11:35:03.065+05:30बेहतर कमेंट :)बेहतर कमेंट :)Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-23127312215591865882011-07-03T10:51:45.531+05:302011-07-03T10:51:45.531+05:30मुबारक हो...मुबारक हो...रवि कुमार, रावतभाटाhttp://ravikumarswarnkar.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-50681032259732185532011-06-30T14:08:38.501+05:302011-06-30T14:08:38.501+05:30नेट पर ऐसी घटना सामान्य बात है और इसका(चोरी) पकड़ा ...नेट पर ऐसी घटना सामान्य बात है और इसका(चोरी) पकड़ा जाना भी बहुत आसान है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-1476218486111063792011-06-29T15:22:14.526+05:302011-06-29T15:22:14.526+05:30कुछ दिनों पहले मेरे साथ भी ऐसा हुआ था|कुछ दिनों पहले मेरे साथ भी ऐसा हुआ था|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-22627900819731746722011-06-29T14:26:57.238+05:302011-06-29T14:26:57.238+05:30मुझे नहीं लगता ये शौकीन या कद्रदान हैं कर ऐसा होता...मुझे नहीं लगता ये शौकीन या कद्रदान हैं कर ऐसा होता तो इन्हें नाम देने में कोई दिक्कत नहीं होती.....<br />आपके दिए लिंकों पर जहां कमेंट्स के ऑप्शन थे ऐसे एक दो जगहों पर हमने भी आपत्ति जताई है....<br />बरहाल लेकिन इसका कोई सलूशन नहीं है..जब भी देखिये कोई भी बिना नाम के किसी की भी ग़ज़ल या लाइने अपने खुद के नाम से साथ चिपका देता है या कुछ इस ढंग से बिना नाम के की ...पाठक ये समझे की जिसका ब्लॉग है उसी का होगा गर वो ज्यादे ग़ज़ल को जन्नाने वाला ना हुवा तो..<br />गर ग़ज़ल को जानने वाला हुवा कोई आपत्ति की तो ... एक बना बनाया जवाब तैयार है भाई हमें ग़ज़ल अच्छी लगी थी लेकिन शायर का नाम याद नहीं रख पाया था इसलिए बिना नाम के लगाई है....anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4199775936001289890.post-89377097511425489252011-06-29T13:30:37.064+05:302011-06-29T13:30:37.064+05:30लगता है साहित्यिक चोरी की वारदातें बहुत बढ़ गई हैं...लगता है साहित्यिक चोरी की वारदातें बहुत बढ़ गई हैं ।<br /><br /><br />मेरा ब्लॉग- <a href="http://www.skeptic-thinkers.blogspot.com/" rel="nofollow">संशयवादी विचारक</a>sajjan singhhttps://www.blogger.com/profile/09552971271017469640noreply@blogger.com